पहाड़ के किसानों का दर्द क्या सुन रही है सरकार?

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सबका पेट भरने वाला किसान आज खुद भूख से बिलक रहा है। खासतौर पर पहाड़ों में किसान खेती के लिए जितनी जद्दोजहद करते हैं उतना फायदा नहीं मिलता। जिससे एक चिंताजनक स्थिति पैदा हो रही है। धीरे धीरे किसान खेती से हट रहे हैं। पिछले 17 सालों में खेती का क्षेत्रफल करीब 15 प्रतिशत घटा है। जिसकी मुख्य वजह है कर्ज़े में डूबे किसान। 2017 तक प्रदेश में सात लाख किसानों पर 10968 करोड़ कर्ज का बोझ है। जिस पर सालाना 934.32 करोड़ का ब्याज लग रहा है।

पहाड़ी जगहों में सिंचाई के पर्याप्त इंतेज़ाम न होने के कारण किसान पलायन कर रहे हैं या करना चाहते हैं। 3.30 हेक्टेयर इलाके में सिंचाई की सुविधा है, जिनमें से 2.86 हेक्टेयर सिर्फ उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र में शामिल है। है। यही नहीं, नए ज़माने की तकनीकी तरीके जैसै कृषि उत्पादों की मार्केटिंग, कोल्ड स्टोर, कलेक्शन सेंटर जैसी तमाम सुविधाएं न होने के कारण कृषि उत्पाद बाजार में पहुंचने से पहले ही खराब हो जाता है। बची कुची कसर ये बेमौसम बरसात और सूखा पूरी कर देते हैं।

  • 2014-15 में किसानों को 513.69 करोड़ का नुकसान हुआ था। जिसके बदले केंद्र सरकार से कोई मुआवज़ा नहीं मिला।
  • 2015-16 में सूखा पड़ने से 95.79 करोड़ का नुकसान हुआ।
  • 2016-2017 खरीफ  फसलों पर 4.21 करोड़ का नुकसान देखा गया।

लेकिन केंद्र और प्रदेश सरकार साल 2022 तक किसानों का मुनाफा दोगुना करने का दावा कर रही है। आखिर क्या है सरकार की योजना

किसानों की सैलरी को दोगुना करने का सरकारी प्लान

  • राज्य में बंजर भूमि पर मनरेगा के तहत सुगंध, हर्बल पौधों, फ्लोरीकल्चर, रेशम उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
  • किसानों को कृषि उत्पाद का सही दाम मिले, इसके लिए पहाड़ी इलाकों में कोल्ड स्टोर बनाने की योजना है।
  • नई सब्जी मंडी बनाई जाएगी ।
    हर ब्लाक में आदर्श कृषि गांव योजना (आईएमए विलेज) शुरू होने वाली है जिसमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य, मुर्गीपालन, रेशम, सब्जी, शहद, मशरूम जैसे काम होंगे।
  • बंजर ज़मीन के इस्तेमाल के लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। परंपरागत फसलों के साथ ही मशरूम उत्पादन, शहद, रेशम, मछली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
  • किसानों को आधुनिक कृषि मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए 370 फार्म मशीन बैंक (एफएमबी) खोलने का काम जारी है।
  • इसके साथ आर्गेनिक व नर्सरी एक्ट बनने को तैयार है। ताकि किसानों को अच्छी गुणवत्ता के पौधे, बीज मिल सके।
  • किसानों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार की ओर से दो प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रुपये तक का ऋण दिया जा रहा है।

ज़रा सोचिए किसानों के अधिकार अगर किसानों को नहीं मिले तो एक भयानक माहौल होगा जिसमें उगाने वाले घटते जाएंगे औऱ खाने वाले बढ़ते।