दो नवम्बर 2017 को शहीद फलोटा गांव के 25 वर्षीय सूरज का स्मारक उसके पिता ने गांव में अपनी जमा पूंजी से तैयार करवाया है। सेना में नायब सूबेदार से रिटायर हुए सूरज के पिता नारायण सिंह ने कहा उनका एक ही बेटा था। यदि और भी बेटे होते तो वो उन्हें भी वह देश के लिए समर्पित करते।
एक फरवरी 1995 को फलोटा गांव में नारायण सिंह और विमला देवी के घर जन्मे सूरज की प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय से हुई। लैंसडौन से हाईस्कूल करने के बाद सूरज ने 12वीं वार मेमोरियल राजकीय इंटर कालेज कर्णप्रयाग से किया। सूरज के चाचा अव्वल सिंह ने बताया कि सूरज लैंसडौन में रहने के दौरान सेना के संपर्क में आया। तब से ही सेना में सेवा करने का मन मनाया। राजकीय महाविद्यालय कर्णप्रयाग से स्नातक के दौरान सेना में सूरज भर्ती हो गया। अल्पकाल में ही सूरज को कई मेडल प्राप्त हुए।
बेटे का देश के प्रति जज्बा देख पिता ने गांव में ही अपनी जमा पूंजी से सूरज की आदमकद मूर्ति स्थापित कर दी। लोगों ने इसके लिए नारायण सिंह के परिवार की प्रशंसा की। कर्नल डीएस रावत ने कहा कि आज पूरे देश को नारायण सिंह के परिवार पर गर्व है। शहीद सूरज की मूर्ति अनावरण और श्रद्धाजंलि कार्यक्रम में हर किसी की आखें नम रहीं। शहीद की मां द्वारा सूरज को पुष्प अर्पित करते समय माहौल गमगीन हो गया।