एम्स मे लगी फाइब्रो स्कैन मशीन, नहीं जाना पड़ेगा  मरीजों को बाहर

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ऋषिकेश, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने फाइब्रो स्कैन मशीन का विधिवत लोकार्पण किया।
एम्स संस्थान में स्थापित उत्तराखंड राज्य की इस पहली मशीन से अब रोगियों को लीवर की विभिन्न समस्याओं से ग्रसित परीक्षण के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा, उन्हें संबंधित जांचों के लिए एम्स संस्थान में सुविधा मिल सकेगा। संस्थान के गैस्ट्रो एंट्रोलॉजी विभाग में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान में स्थापित उत्तराखंड राज्य में पहली फाइब्रो स्कैन मशीन लीवर के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी।
उन्होंने बताया कि इस मशीन के माध्यम से लीवर में जमा चर्बी का पता लगाया जा सकेगा। मशीन से फाइब्रोसिस (पेट की सिकुड़न) की भी जांच संभव है। जबकि इससे पूर्व में लीवर में जमा फैट और पेट की सिकुड़न का परीक्षण करने के लिए बायोप्सी के जरिए लीवर से एक टुकड़ा निकालकर जांच के लिए भेजा जाता था, जिसके लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्वकता होती थी।
निदेशक ने बताया कि यह मशीन हेपेटाइटिस-बी, हैपेटाइटिस-सी, फैटी लीवर डिजिज, एल्कॉलिक डिजिज के मरीजों के लिए काफी हद तक फायदेमंद साबित होगी। डिपार्टमेंट ऑफ एंट्रो गैस्ट्रोलॉजी के प्रमुख डा. रोहित गुप्ता ने बताया कि फैटी लीवर डिजीज वर्तमान में एक एपेडेमिक के तौर पर उभर रही है, जिसकी वजह खाने में अत्यधिक वसा फैट, इनएक्टिविटी, डाइबिटीज एवं कोलेस्ट्रॉल है, लिहाजा यह मशीन फैटी लीवर के मरीजों में इससे होने वाले नुकसान के परीक्षण करने में सक्षम है व इससे आगे रोग की रोकथाम में मददगार साबित हो सकती है। 
डा. गुप्ता का कहना है कि हेपेटाइटिस-बी एवं सी से ग्रसित मरीजों की संख्या राज्य में काफी अधिक है, जिन्हें इस सुविधा के एम्स ऋषिकेश में शुरू होने से उनके लीवर की जांच में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलाॅजी में लीवर के मरीजों के उपचार की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।