फ्लोटिंग मतदाता पार्टी और प्रत्याशियों की बिगाड़ सकते हैं खेल

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उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए भाजपा कांग्रेस सहित 34 अन्य दलों के प्रत्याशी मतदान से पूर्व फ्लोटिंग मतदताओं पर विशेष नजर बनाये हुये थे, इसिलिये प्रत्याशी स्वयं घर—घर जाकर मतदताओं से अपील करते नजर आये। मतदाता ठीक मतदान से पूर्व अपने मत का कहा और किसे देना है उसका फैलसा करते है। ऐसे तीन से पांच प्रतिशत मतदाता हर वर्ग से होते है जो प्रत्याश्यिों के हार जीत में अहम भूमिका निभाते है जिन्हें फ्लोटिंग मतदाता कहते है। पिछले चुनाव के आंकड़ों पर ध्यान दे तो कई सीटों पर एक से पांच फीसद वोटों के अंतर से ही हार-जीत का सामना करना पड़ा है। ऐसे में इन सीटों पर फ्लोटिंग मतदाता प्रत्याशियों की भविष्य तय करते हैं।
विधानसभा चुनाव-2012 में राज्य की 70 सीटों में से 17 फीसद सीटों पर हार-जीत का अंतर एक हजार मतों से कम था। जबकि 55 प्रतिशत विधानसभा में पांच हजार से कम के अंतर से जीत हुई। 90 फीसद सीटों पर हार-जीत का अंतर 10 हजार मतों से कम था। प्रदेश में पिछले चुनाव में 66.17 फीसद मतदान हुआ था।
बीते दो-तीन दिन में जिस तरह से राज्य में भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम दलों के स्टार प्रचारक मैदान में उतरे हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि 50 फीसद सीटों पर अंतिम समय में परिणाम बदलने की स्थिति बन गई है। स्टार प्रचारकों के अलावा फ्लोटिंग वोटर अपने मत के सदुपयोग प्रत्याशी की पकड़ को देखते हुए वोट करते है। भाजपा कांग्रेस सहित तमाम दलों ऐसे प्रत्याशियों को अपने पक्ष में लाने की भरपुर कोशिश किये है।
उत्तराखण्ड के 2012 विधानसभा में हार का अंतर

  • सौ से कम मतों से-01,
  • 500 से कम मतों से-05,
  • एक हजार से कम मतों से-06,
  • दो हजार से कम मतों से 10,
  • पांच हजार से कम मतों से-17,
  • दस हजार से कम मतों से-24,
  • पच्चीस हजार से कम मतों से-06,
  • चालीस हजार से कम मतों से-01 सीटों परों हार जीत का अंतर इस प्रकार रहा।