पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना का निधन, दिल्ली में दो दिन की शोक की घोषणा

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्र की वाजपेई सरकार में मंत्री रहे मदनलाल खुराना का शनिवार देर रात निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। दिल्ली सरकार ने खुराना के निधन पर दो दिन की शोक की घोषणा की है।

दिल्ली में जनसंघ के समय से ही भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार खुराना ने कीर्ति नगर स्थित आवास पर शनिवार रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। उनके एक बेटे हरीश खुराना दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हैं, जबकि दूसरे बेटे की हाल में हृदयाघात से मौत हो गई थी। उनकी दो बेटियां भी हैं।

देर रात उनके निधन के समाचार से प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का उनके घर पर आने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी रविवार सुबह उनके घर गए। परिजनों से मुलाकात के बाद उन्होंने बताया कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री के पार्थिव शरीर को दोपहर 12:00 बजे से दिल्ली प्रदेश भाजपा कार्यालय में रखा जाएगा जहां उनके अंतिम दर्शन किए जा सकते हैं। इसके बाद शाम को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से खुराना को अंतिम श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि खुराना जी लगातार बिना थके दिल्ली के विकास के लिए प्रयत्नशील रहे। वे राजधानीवासियों को बेहतर ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराना चाहते थे। वह हमेशा दिल्ली में भाजपा को मजबूत किए जाने के लिए जाने जाएंगे। बंटवारे के बाद भारत आए लोगों के लिए उन्होंने अप्रत्याशित कार्य किया।

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्हें दिल्ली के विकास के लिए किए गए उनके कार्यों के लिए सदैव याद किया जाएगा। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री रहे केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि खुरानाजी सबसे प्रिय मुख्यमंत्री रहे हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उनके निधन पर शोक जताते हुए दो दिनों की शोक की घोषणा की है।

खुराना का जन्म 15 अक्टूबर 1936 को पाकिस्तान की लालपुर (अब फैसलाबाद) में हुआ था। वह 12 वर्ष के ही थे जो उनके परिवार को बंटवारे के चलते दिल्ली आना पड़ा। उनका परिवार यहां कीर्ति नगर में शरणार्थियों के लिए बने कैंप में कुछ समय तक रहा।

खुराना ने अपना राजनीतिक सफर छात्र जीवन से शुरू कर दिया था। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद वह इलाहाबाद चले गए। यहां उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में जनरल सेक्रेट्री चुना गया। वर्ष 1960 में गए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव चुने गए। इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में बतौर शिक्षक सेवाएं भी दीं।

वह भाजपा के पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ के शुरुआती दौर के नेताओं में से थे। प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा के साथ मिलकर उन्होंने दिल्ली में भाजपा को एक मजबूत राजनीतिक दल के तौर पर स्थापित किया। वह दिल्ली में 1993 से लेकर 1996 तक मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने दिल्ली के लिए कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं की नींव रखी जिसमें दिल्ली मेट्रो प्रमुख है। वह चार बार लोकसभा के सांसद रहे। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। इसके बाद उन्हें थोड़े समय के लिए राजस्थान का राज्यपाल भी बनाया गया था।

खुराना को अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से निकाल दिया गया था। उसके बाद धीरे-धीरे वे सक्रिय राजनीति से दूर होते गए। पिछले आठ 10 सालों से वह बीमारी के चलते घर पर ही रह रहे थे।