राजपुर रोड के पूर्व विधायक राजकुमार ने गिनाई दून अस्पताल की कमियां

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हाल ही में दून चिकित्सालय प्रबन्धन की लापरवाही के चलते एक महिला की मृत्यु हो गई, जो कि एक गम्भीर मामला है। इसका संज्ञान लेते हुए राजपुर रोड़ विधानसभा से पूर्व विधायक राजकुमार ने आज दून चिकित्सालय में डाॅ0 के0सी0 पंत से मुलाकात कर निम्न बिन्दुओं पर जल्द उचित कार्यवाही हेतु ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर उन्होंने बताया कि चिकित्सालय की जिम्मेदारी आम जन को सुविधा प्रदान करना है, लेकिन जब से दून चिकित्सालय को दून मेडिकल काॅलेज का दर्जा दिया गया, उस दिन से यहां आए लगभग 90 प्रतिशत लोगों की कुछ न कुछ शिकायतें आए दिन प्राप्त हो रही हैं। जिन पर जनहित को ध्यान में रखते हुए जल्द उचित कार्यवाही करने की आवश्यकता है।

  • सर्वप्रथम जब तक दून मेडिकल काॅलेज को पूर्व की भाॅंति जिला चिकित्सालय के रूप में संचालित नहीं किया जाता, तब तक गांधी नेत्र चिकित्सालय में मरीजों के उपचार व कम से कम 200 बेड की व्यवस्था की जाए।
  • वर्तमान में डेंगू और स्वाईन फ्लू जैसी भयानक बीमारी बड़ती जा रही है,जिसके उपचार की कोई उचित व्यवस्था नहीं है, लापरवाही का नतीजा है कि बीते रोज एक महिला की मृत्यु हो गई।
  • दून महिला चिकित्सालय में अक्सर गर्भवती महिलाएं आॅपरेशन थियेटर के बाहर ही दर्द से तड़पती दिखाई देती हैं, क्या चिकित्सकों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।
  • निर्धन वर्ग के मरीजों के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उन्हें अस्पताल के मुख्य/ईमरजेंसी स्थल पर प्रर्दशित किया जाए, ताकि मरीज या तीमारदार को भटकना न पड़े।
  • दून चिकित्सालय के आपातकाल में बेड न होने के कारण भी मरीज बाहर ही पड़े रहते हैं, बेड संख्या बढ़ाई जाए
  • मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ आम जन को नहीं मिल पा रहाहै, योजना की स्थिति स्पष्ट की जाए।
  • लोकल पर्चेस (एल0पी0) की सुविधा बन्द है, जिस कारण मरीजों को बाहर से महंगी दवाईयां खरीदनी पड़ रही है, चिकित्सालय स्तर पर दवाईयां उपलब्ध कराई जाएं।
  • डायलिसिस मशीन, डिजिटल एक्स-रे मशीन व अन्य उपयोगी मशीनों के खराब होने की खबरें आए दिन समाचार पत्रों में छपी रहती हैं, व्यवस्था में सुधार किया जाए।
  • आवारा कुत्तों के काटने पर भी मरीजों को सम्बन्धित इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
  • अस्पताल प्रशासन के पास स्वयं की कितनी एम्बुलेंस उपलब्ध हैं, अक्सर आम जनता द्वारा बाहर से एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाती है।
  • बायोमेडिकल कूड़े के निस्तारण को लगी मशीनें खराब हैं, उन्हें तत्काल ठीक कराया जाए।
  • अस्पताल परिसर में रात्रि के समय अंधेरा रहता है, जिस कारण रात्रि में आए मरीजों को लाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, लाईटों को जल्द ठीक करवाया जाए।
  • अक्सर अस्पताल में ऐसे मरीज आते हैं जो कि चलने/फिरने में भी असमर्थ होते हैं, जो लिफ्ट का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन अस्पताल की लिफ्ट भी बन्द हैं।
  • चिकित्सालय परिसर में सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जगह-जगह गन्दगी है, चाहे वह चिकित्सालय का परिसर हो या फिर आम जन के उपयोग हेतु शौचालय।
  • चिकित्सालय परिसर में मरीजों के लिए साफ पेयजल की की व्यवस्था कराई जाए।