गरीबी और गुरु से मिली सीख को दामोदर ममगाईं कभी नहीं भूले। गुरबत से जागी संवेदना और गुरु के बताए रास्ते पर चल उन्होंने 27 साल पहले पौड़ी में अपने स्कूल की नींव रखी तो तय किया कि होनहारों की पढ़ाई में गरीबी को आड़े नहीं आने देंगे। आज उनके स्कूल में 110 बच्चे निश्शुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
तीन भाई और एक बहन में सबसे बड़े पौड़ी जिले के ग्वाड़ गांव के रहने वाले दामोदर का जिंदगी ने कड़ा इम्तेहान लिया। पिता शिक्षक थे और वेतन बेहद कम। ऐसे में दामोदर ने बचपन में ही पुरोहिताई का काम सीखा।
इससे न केवल पढ़ाई का खर्च निकला, बल्कि परिवार को भी मदद मिली। अपने प्रयासों से परास्नातक और कानून की पढ़ाई की। वह बताते हैं कि इस दौरान उन्होंने बिजली का फीटिंग का काम भी सीखा। दामोदर बचपन का एक किस्सा याद करते हैं, वह बताते हैं कि ‘आठवीं कक्षा में वह फीसद जमा नहीं कर पाए तो यह बात उनकी टीसी में दर्ज कर दी गई।
दामोदर बताते हैं कि उन्होंने तभी तय कर लिया था कि यदि भविष्य में कुछ करने का अवसर मिला तो किसी बच्चे को ऐसे हालात का सामना नहीं करने देंगे।
बातचीत के दौरान दामोदर अपने गुरु आरडी मिश्रा को याद करते हुए बताते हैं कि जब वह पौड़ी के मैसमोर इंटर कॉलेज में कक्षा नौ में थे तो गणित में कमजोर थे। तब मिश्रा ने उन्हें प्रतिदिन एक घंटा अतिरिक्त समय देते थे। यह सिलसिला पूरे दो साल चला।
वह बताते हैं कि पहाड़ों से हो रहा पलायन मन को कचोटता है और इसका सबसे बड़ा कारण है गुणवत्तापरक शिक्षा का अभाव। इसीलिए वर्ष 1990 में बैंक से 70 हजार रुपये का लोन लेकर पौड़ी में एक स्कूल शुरू किया।
मेहनत और लगन ने अभिभावकों का भरोसा जीता तो कारवां बढऩे लगा। वह बताते हैं कि पांच बच्चों से शुरू हुए स्कूल में आज तेरह सौ बच्चे हैं। दामोदर बताते हैं कि गरीब बच्चों को स्कूल हर तरह की मदद करता है।
शहर में जन-जागरुकता अभियान हो या पौधरोपण, हर गतिविधि में दामोदर ममगाईं बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी से सम्मान भी मिल चुका है।