विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में 11 उम्मीदवारों का नाम है। पार्टी अभी भी छह सीटों पर अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। बताया जा रहा है कि पार्टी को इन सीटों पर टिकट फाइनल करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी है। दूसरी सूची आते ही पार्टी में नाराजगी भी सामने आ गई है। नाराजगी हरीश रावत के रामनगर सीट से चुनाव लड़ने पर है।
रामनगर सीट से पिछली बार पार्टी के वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि पिछला चुनाव वे हार गए थे लेकिन वे इस क्षेत्र में सक्रिय रहे। यहां वह अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करते रहे। वे यहां से अपना टिकट फ़ाइनल मानकर चल रहे थे। ठीक उसी तरह जैसे पिथौरागढ़ से मयूख महर पार्टी की पहली सूची जारी होने के पहले वहां से नामांकन कर चुके थे।
जब कांग्रेस ने पहली सूची जारी की तो मयूख महर को पिथौरागढ़ से ही टिकट दिया गया लेकिन रणजीत रावत के मामले में ऐसा नहीं हुआ। पार्टी ने रामनगर से रणजीत रावत का टिकट काटकर यहां से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को मैदान में उतारा है। इससे अब कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत नाराज हो गए हैं।
कांग्रेस की सरकार के दौरान रणजीत रावत, हरीश रावत के बेहद करीबी थे। केदारनाथ आपदा के बाद 2013 में विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया तो हरीश ने रणजीत को औद्योगिक विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया। यह परिषद उत्तराखंड में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यही नहीं मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रणजीत रावत को अपना राजनीतिक सलाहकार भी बनाया था।
वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद दोनों नेताओं के बीच दूरियां बढ़ गई। इसको लेकर देहरादून के राजनीतिक गलियारों में कई तरह की सरगोशियां हैं। आज हरीश रावत और रणजीत रावत दोनों एक-दूसरे को देखना तक नहीं चाहते हैं। रणजीत रावत के एक समर्थक नाम न छापने के शर्त पर बताते हैं कि हरीश रावत ने जानबूझकर रणजीत रावत का टिकट रामनगर से कटवाया है। उन्हें सल्ट से चुनाव लड़ने को कहा जा रहा है।
पार्टी ने सल्ट से अभी उम्मीदवार तय नहीं किया है। इसका कारण यही है। पार्टी रणजीत रावत का यहां से टिकट फाइनल कर चुकी है लेकिन रणजीत रावत ने लड़ने से मना कर दिया है। इस लिए सल्ट के टिकट को अभी होल्ड पर रखा गया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि रणजीत रावत को सल्ट से लड़ने के लिए मनाया जा रहा है।