शहर के नागरिक चाहते हैं कि गंगनहर क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए। वजह अतिक्रमण के चलते गंगनहर की स्वच्छता पर प्रभाव पड़ रहा है। घाटों पर भी आने जाने में परेशानी हो रही है। इस संबंध में शहर के नागरिकों ने उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजे हैं।
रुड़की संघर्ष समिति के सचिव मनीष कुमार ने बताया कि ज्ञापन में अतिक्रमण के हालात बयां किए गए हैं। उन्होंने बताया कि गंगनहर से सटे क्षेत्र में अवैध रूप से बाजार विकसित कर लिए गए हैं। जिससे की बेशकीमती सरकारी भूखंडों पर कब्जे हैं। इससे शहर के लिए सौंदर्यकरण पर प्रभाव पड़ रहा है। पार्को का अस्तित्व ख़त्म हो गया है, जहां पर पार्क बने थे, उनमें अवैध रूप से बाजार बने हैं। नागरिकों का कहना है कि सिंचाई विभाग व प्रशासन की लापरवाही के कारण ही अतिक्रमण हुए हैं।
रुड़की संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष नदीम अहमद ने कहा है कि गंगनहर के नए पुल से लेकर बोर्ड क्लब के मध्य क्षेत्र में गंगनहर के दोनों ओर इतना अधिक अतिक्रमण हो चुका है कि वह अब आम नागरिक की परेशानी का सबब बनता जा रहा है। महासचिव प्रवीण गर्ग ने कहा कि मेन बाजार पुल से धनोरी मेटाडोर अड्डे तक भी सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से बाजार विकसित कर लिए गए हैं। इन बाजारों में स्थित दुकानों के दुकानदारों से अवैध वसूली की जा रही है, जो कि सरकारी खाते में न जाकर कुछ लोगों के जेब में जा रही है।
सह सचिव मुकेश कुमार सैनी ने कहा कि इस अतिक्रमण के कारण ही जाम लग रहा है। इसी अतिक्रमण के कारण गंगनहर के सौंदर्यकरण की तमाम परियोजनाएं अटकी हुई है। अतिक्रमण के कारण रोजाना छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ रही है और इसी गंगनहर में रोजाना कई टन गंदगी डल रही हैं। समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड, सिंचाई मंत्री उत्तरप्रदेश को भेजे ज्ञापन में कहा है कि यदि प्रशासन और सिंचाई विभाग ने जल्द ही गंगनहर के अगल बगल के क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया तो एक जनहित याचिका दायर की जाएगी। जिसमें प्रशासन और सिंचाई विभाग को पक्षकार बनाया जाएगा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि आवश्यकता पड़ने पर विभाग के अधिकारियों के कार्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा।