हरिद्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक नमामी गंगे योजना के जरिये गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए लगातार केन्द्र सरकार मॉनटरिंग करती रहती है। लेकिन सामने आई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक स्थिति चिंताजनक की बनी हुई है। दरअसल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के अनुसार जिन 39 स्थानों से होकर गंगा गुजरती है, उनमें से केवल हरिद्वार में ही गंगा स्वच्छ पाई गई है।
विदित हो कि गंगा को अविरल और निर्मल बनाने की केन्द्र सरकार नमामि गंगे योजना के तहत गंगा के तटों के निकट जलमल शोधन आधारभूत संरचना के विस्तार, साल 2022 तक इसके तटों पर स्थित गांवों के गंदे जल एवं कचरे को इसमें बहना बंद करने, घाटों का सुनियोजित विकास और राष्ट्रीय गंगा निगरानी केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही गोमुख से गंगासार तक सबका उद्धार कर रही गंगा खुद की निर्मलता के लिए तरस रही है। पतित पावनी गंगा की निर्मलता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए व्यवस्था केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी की रिपोर्ट के बाद गंगा प्रेमी बेहद चिंतित हैं।
बता दें कि गंगा को लेकर कई ऐसी रिपोर्ट आ चुकी है, जिसमें यह बताया गया है कि गंगा का जल आचमन लायक भी नहीं है। गंगा को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी ने रिपोर्ट दी है और गंगा को सिर्फ हरिद्वार में ही स्वच्छ बताया है। रिपोर्ट के अनुसार हरिद्वार के बाद जहां भी गंगा बह रही है वहां पर गंगा की काफी दयनीय हालत है। आज भी हरिद्वार में करीबं एक दर्जन से ऊपर गंदे नाले गंगा में डाले जा रहे हैं। इतना ही नहीं संतों के शव भी गंगा में उतारते देखे जा सकते हैं। गंगा में पड़े शव और बहते गंदे नालों को लेकर स्थानीय लोगों में खासा रोष हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि गंगा घाटों की असलियल यही है। हरिद्वार के उन प्रमुख गंगा घाटों पर भी गंदगी रहती है जहां देश-विदेश से श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। गंगा को लेकर आई रिपोर्ट पर हरिद्वार तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि हरिद्वार में गंगा प्रदूषित नहीं हो रही है। यहां भी कई ऐसे कार्य हो रहे हैं, जिसकी वजह से गंगा प्रदूषित हो रही है। गंगा स्वच्छ होनी चाहिए क्योंकि गंगा को हम मां के रूप में पूजते हैं और गंगा हमारे जीवन की जलधारा है। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड सीपीसीबी की रिपोर्ट मानें तो जिन 39 स्थानों से होकर गंगा नदी गुजरती है उनमें से सिर्फ एकमात्र हरिद्वार ही ऐसा स्थान है जहां इस साल मानसून के बाद गंगा का पानी साफ पाया गया। बोर्ड के अध्यक्ष के अनुसार हरिद्वार को छोड़ 3 दर्जन से ज्यादा स्थानों पर गंगा मैली है। रिपोर्ट को लेकर वैज्ञानिक बीड़ी जोशी का कहना है कि सिर्फ बरसात के बाद ही उन्होंने ऐसा पाया है। यह खबर इस तरह से भ्रामक हो जाती है क्योंकि जब तक पूरे 12 महीने तक वह किसी भी नदी का अध्ययन नहीं करेंगे तब तक उन्हें उसके बारे में जानकारी नहीं मिल पाएगी। अगर वह टुकड़े-टुकड़े में रिपोर्ट दे रहे हैं तो उससे वह सहमत नहीं हैं। बरसात के बाद ही उन्होंने ऐसा पाया है यह खबर इस तरह से भ्रामक हो जाती है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि हरिद्वार से निचले इलाकों में गंगा काफी प्रदूषित हो रही है क्योंकि वहां की परिस्थितियां काफी अलग हैं। वहां पर कई फैक्ट्रियां हैं और कई जगह पर कई शव गंगा में बहते रहते हैं, इसलिए जल प्रदूषित होता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीपीसीबी द्वारा सार्वजनिक की गयी इस रिपोर्ट ने गंगा की स्वच्छता और निर्मलता को लेकर तमाम दावों की हवा निकाल दी है। क्योंकि गंगा पर चिह्नित किए गए 39 स्थानों से मात्र हरिद्वार एक ऐसे स्थान स्वच्छ पाया गया है। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार गंगा की सफाई को लेकर आगे क्या कदम उठाती है। क्योंकि गंगा अभी तक सिर्फ फाइलों में ही स्वच्छ हो रही है, धरातल पर गंगा की स्थिति काफी दयनीय देखी जा रही है।