लॉकडाउन का असर: गंगा तेरा पानी अमृत !

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गंगा
गंगा तेरा पानी अमृत ! जी हां,  देवभूमि ऋषिकेश में गंगा का जल इन दिनों अमृत स्वरूप नजर आ रहा है। लॉक डाउन में ऋषिकेश में कल-कल बहती गंगा के निर्मल जल की तस्वीरें वायरल हो रही हैं । इन्हें देखकर दुनियाभर के  गंगा भक्त गदगद हैं।
दुनिया इस समय कोरोना वायरस के संक्रमण से भले ही सहमी हुई हो लेकिन इस विकट समस्या का आनंद इस समय प्रकृति खुले तौर पर उठा रही है। कोरोना से हुए लॉक डाउन के बीच तमाम देश भले ही अर्थव्यवस्था का रोना रो रहे हों पर आज हर तरह के प्रदूषण से नेचर को आजादी मिली है। भारत में विशेष तौर पर प्रदूषण कम हुआ है। सभ्यता और हरियाली की जननी गंगा नदी इन दिनों पूर्ण रूप से स्वच्छ हो चुकी है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड के आकलन के मुताबिक उत्तराखंड के देवप्रयाग से लेकर ऋषिकेश और यहां तक की हरिद्वार में हरकी पैड़ी तक गंगा में हानिकारक जीवाणुओं की संख्या में कमी आई है और अन्य तरह की गंदगी भी कम हुई है। इस समय देशभर लॉक डाउन के बीच हर प्रकार के उद्योग-धंधे बंद हैं। इस कारण हानिकारक गैसों के साथ ही अपशिष्ट पदार्थ नदियों में न छोड़े जाने से ही कई जगह नदियां पहले से कहीं अधिक स्वस्छ और निर्मल हो गई हैं। खास बात ये है कि गंगा का पानी अब अधिक साफ और नीला दिखाई दे रहा है। जिस तरह से गंगा निर्मल हुई है, उससे यहां के पानी में देवप्रयाग से तीर्थ नगरी तक हानिकारक जीवाणु भी काफी कम हुए हैं।
ऋषिकेश में कोलीफार्म बैक्टीरिया में करीब 47 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। बोर्ड का मानना है कि यहां अब पानी क्लास ए का है। इसका मतलब यह है कि यहां पानी को क्लोरीन के साथ पीने के उपयोग में लाया जा सकता है। भले ही गंगा की स्वच्छता पर पर कारखानों आदि का रोल न रहा हो पर इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि तीर्थयात्रा के लिए लोगों के लिए कम आने से या श्रद्धालुओं की आवाजाही कम होने से ही गंगाजल की गुणवत्ता बेहतर हुई है।
विडंबना देखिए गंगा को करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सरकार स्वच्छ नहीं करा पाई है। मगर लॉक डाउन की छोटी सी अवधि में गंगा ने खुद को स्वच्छ और निर्मल बना लिया है। गंगा नियंत्रण बोर्ड के अवर अभियंता एके सिंह का कहना है कि इन दिनों गंगा का जल निर्मल होने के साथ स्वच्छ भी है।