उत्तराखंड के गौचर को सबसे ”स्वच्छ गंगा गांव” का खिताब

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इस साल के स्वच्छ सर्वे में गौचर, चमोली जिले ने उत्तराखंड राज्य का मान बढ़ाया। स्वच्छ सर्वे के नतीजे आ चुके हैं और उत्तराखंड के गौचर को पहली बार सबसे स्वच्छ गंगा शहर के रूप में चुना गया है। इस साल चार जनवरी से पूरे देश में स्वच्छ सर्वेक्षण शुरू हुआ था। 31 जनवरी 2019 तक यह सर्वेक्षण पूरा हो गया। इस बार निकायों की आबादी के हिसाब से पिछली बार की तुलना में कहीं ज्यादा श्रेणियां बनाई गई थीं।

6 जनवरी को आर सर्वेक्षण के नतीजे देखकर हर किसी के चेहरे पर खुशी है। गौचर म्युनिसिपल बोर्ड की अध्यक्ष 36 वर्षीय अंजू बिष्ट ने न्यूजपोस्ट से बात करते हुए, कहा कि “मुझे इस बात की अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन अगर यह सच है, तो इसका श्रेय हमारे कार्यकारी अधिकारी राधेश्याम चाचर और उनकी टीम के सभी कर्मामचारियों को जाता है।इसके अलावा शहर के निवासियों को इसका श्रेय जाता है जिन्होंने सुनिश्चित किया कि गौचर साफ-सुथरा रहे।”

दस हजार लोगों की आबादी वाले गौचर, को सात वार्डों में विभाजित किया गया है, और अध्यक्ष ने पालिका की छोटी सरकार आपके द्वार अभियान के माध्यम से लोगों को वेस्ट मैनेजमेंट के बारें में भी जागरुक किया है। स्थानीय प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि शहर के कोई भी होटल अपने नालों को अलकनंदा नदी में ना बहाए।

आपको बतादें कि एक लाख से ज्यादा आबादी और उससे कम आबादी वाले निकायों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया था। करीब छह श्रेणियों में कई बिंदुओं पर निकायों की सफाई की कसरत का आकलन किया गया।इस पूरी प्रक्रिया में चमोली जिले का गौचर और रुद्रप्रयाग जिले का अगस्त्यमुनि नगर निकायों का प्रदर्शन बहुत शानदार था।

इनमें से गौचर, चमोली जिले में सफाई की स्थिति का केंद्रीय टीम वीडियो शूट करके भी ले गई है। पिछली बार भी गौचर नगर निकाय का सर्वेक्षण में अच्छा प्रदर्शन रहा था,  इस नगर निकाय ने छोटे शहरों की श्रेणी में 1008 शहरों में 31वां स्थान प्राप्त किया था। इस बार केंद्रीय टीम ने अपने तौर तरीकों में एक अंतर रखा था। पिछली बार जहां केंद्रीय टीम सूचना देकर निरीक्षण के लिए आई थी, इस बार उसने औचक निरीक्षण करके स्वच्छता की स्थिति का आकलन किया।

कुछ ही घंटों पहले, राष्ट्रपति कोविंद ने नई दिल्ली में एक समारोह में पुरस्कार देते हुए ट्वीट किया, “राष्ट्र ने महात्मा गांधी को स्वच्छता को एक जन आंदोलन बनाकर सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि अर्पित की है।

टॉप 100 में आना है उत्तराखंड का सपना

स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में उत्तराखंड का कोई भी बड़ा शहर टॉप 100 में नहीं आ पाया था। एक लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में सबसे बेहतर प्रदर्शन रुड़की नगर निगम का रहा था, जिसने देश के 485 शहरों में 158वां स्थान हासिल किया था। हरिद्वार को 205, हल्द्वानी को 251, देहरादून को 259, रुद्रपुर को 281 और काशीपुर नगर निकाय को 310वां स्थान हासिल हुआ था। उत्तरी जोन के 1008 शहरों में जरूर मुनिकीरेती ने दूसरा, नैनीताल ने छटवां, चमोली ने आठवां, दुगड्डा ने 13 और मसूरी ने 32वां स्थान हासिल किया था।

इंदौर ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार जीता, वहीं भोपाल को भारत की सबसे स्वच्छ राजधानी घोषित किया गया। जहां दिल्ली को बीते दिनों आए प्रदूषण बोर्ड के सर्वे ने दिल्ली वालों को मायूस किया वहीं स्वच्छ सर्वेक्षण में दिल्ली वालों के लिए भी खूशखबरी थी, दिल्ली कैंट ने भारत में सबसे स्वच्छ छावनी का खिताब जीता।