ऋषिकेश, पिछले सोमवार से प्रकृति के विनाश पर हो रहे विकास कार्यों के विरुद्ध संत गोपालदास ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर अनशन पर बैठे हैं। आमरण अनशन के दौरान गोपाल दास का 5 किलो वजन कम हो गया है तथा पेशाब में इन्फेक्शन होने के कारण चिकित्सकों ने अस्पताल में भर्ती किए जाने के लिए प्रशासन को लिखित में जानकारी दी है। लेकिन गोपाल दास का कहना है कि, “अस्पताल में भर्ती किए जाने से पहले गंगा को फांसी लगी है ,हिमालय को बुखार हो गया है उन्हें अस्पताल मे भर्ती किये जाने से पहले उनके साथ गंगा तथा हिमालय को भी अस्पताल में भर्ती किया जाए, जिससे उनका भी जीवन सुधर सके।”
गोपाल दास का कहना है कि वह सोमवार से अनशन पर बैठे हैं, जिनकी मुख्य मांग विकास रामराज्य, देवभूमि की गोचर भूमि संतों को दिये जाने के साथ अंतरराष्ट्रीय वाद विवाद संवाद समीक्षा समाधान मुख्य है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व वह 24 जून को बद्रीनाथ में अनशन पर बैठे थे, लेकिन वहां के कोतवाली प्रभारी ने 25 जून को अपनी हिरासत में लेकर हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया था। जिसके बाद उन्होंने उन्हें जोशीमठ उपचार के लिए भेजा, और वहां से उन्हें एम्स ऋषिकेश भेजा गया लेकिन वह वहां से अपने आप को स्वस्थ समझते हुए भाग गए और सीधे ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर आकर उन्होंने अनशन प्रारंभ कर दिया है। यहां यह भी बताते चलें कि संत गोपालदास सोनीपत हरियाणा के रहने वाले हैं।
गोपाल दास का कहना है कि उन्होंने अपनी मांग को लेकर प्रधानमंत्री को भी जोशीमठ से पत्र लिखा था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई ना होते देख, उन्हें ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट पर अनशन पर बैठना पड़ा। उनके समर्थन में आचार्य मानव, आचार्य आनंद, आचार्य संदीप भी बैठे हैं संत गोपाल का कहना है कि वह इससे पूर्व गंगोत्री में भी आध्यात्मिक आराधना कर चुके हैं। गोपालदास के अनशन पर बैठे होने के कारण उनके स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट आ रही है 58 किलो वजन से 50 किलो वजन रह गया है उनका 8 किलो वजन घट गया है तथा पेशाब में इंफेक्शन शुरू हो गया है । जिसे देखते हुए गोपाल रात को अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती कराया जाना अत्यंत आवश्यक है।