पतंजलि की मदद से चिड़ की सुईयों से बनेगी अगरबत्ती

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    राज्य सरकार ने ग्रामीणों की आय को बढ़ावा देने और चिड़ पाइन की सुइयों से छुटकारा पाने के लिए एक नई पहल करने का विचार किया है।चीड़ की सुईयां जंगलों में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और राज्य में वनों की आग लगने का एक प्रमुख कारण है। वन विभाग की योजना है कि स्थानीय लोगों की मदद से धूप की छड़ यानि की अगरबत्ती की लकड़ी बनाने के लिए रामदेव के पतंजलि को सैकड़ों पाईन सुई इकट्ठा करके भेजना चाहिए।

    वन सेना के प्रमुख राजेंद्र महाजन ने कहा, “पाइन सुई उनके गुणों के कारण एक अच्छा अग्निबाट (धूप की छड़) बनाती है।उत्तराखंड के जंगलों में बहुत सारा कच्चा माल है। इसलिए हम पतंजलि के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं जिससे यह जंगल से पाइन सुई का उपयोग कर अगरबत्ती की लकड़ी बना सके। “

    महाजन ने कहा कि, “हम सोच रहे हैं कि छोटे-छोटे धूप बनाने वाली इकाइयां जंगलों के पास स्थापित की जा सकती हैं जहां स्थानीय लोगों से पाइन सुइयों जमा करवाईं जाएं। जंगल विभाग निवासीयों से पाइन सुइयों को चुनने के लिए शुल्क नहीं लेगा। फरवरी से अप्रैल तक अधिकतम सुईयां इकठ्ठा कर लेगें, जब ज्यादातर पाइन सुइया जंगल में पड़ी होती हैं इससे जंगल में लगने वाली आग से भी बचा जा सकता हैं क्योंकि अप्रैल के बाद गर्मियों की शुरुआत के साथ जंगल में आग की संभावना बढ़ जाएगी। “

    पतंजलि ने कहा कि वह इस विचार में फारेस्ट डिपार्टमेंट का पूरा साथ देंगे। पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि, “उत्तराखंड सरकार ने चिर पाइन सुई का अच्छा इस्तेमाल करने को सोचा है और हालिया मीटिंग में हमारे साथ इस सामग्री के आधार पर जरुरी उत्पादों के साथ आने के प्रस्ताव पर चर्चा की, यह परियोजना बेहद फायदेमंद होगी क्योंकि इससे आग से जंगल की सुरक्षा होगी और स्थानीय निवासियों को सशक्त बनाया जाएगा। “

    योग गुरु रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण ने हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से ‘सहयोग’ मिशन के लिए एक ज्ञापन समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने पर चर्चा की, जिसके तहत पतंजलि राज्य सरकार को माइग्रेशन की जांच, रोजगार प्रदान करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और राज्य अर्थव्यवस्था बढ़ाने में मदद करेगी।

    राज्य सरकार चिड़ पाइन सुई का इस्तेमाल करने के तरीकों पर विचार कर रही है,  पिछले साल 4,500 हेक्टेयर जंगल आग लगने से इलाकों में तब्दील होने के बाद अब कैसे  पाईन से जंगलों को मुक्त रखा जा सकता है इसपर विचार चल रहा है।जंगलों में आग लगने के पीछे पाइन सुई को प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।

    कालगाढ़ के विभागीय वन अधिकारी धीरज पांडे ने धूप बनाने के लिए पाइन सुइयों का इस्तेमाल करने के फैसले का स्वागत किया है और कहा कि, “पाइन के पत्तों से निकाले जाने वाले आवश्यक तेलों का उपयोग साबुन, लोशन, मोमबत्तियों जैसे उत्पादों को बनाने के लिए भी किया जा सकता है।”

    कुछ गांवों ने सफलतापूर्वक आय अवसरों को बढ़ावा देने के लिए चिड़ पाइन्स का इस्तेमाल किया है।अल्मोड़ा के दादीम खोला गांव में, निवासियों ने पाइन सुई से ईंधन की लकड़ी के ईंटे बना रही हैं। देवरेंद्र सिंह नयाल, ग्राम प्रधान ने कहा कि, “हमारे गांव में 90 घर हैं और लगभग सभी घरों ने सीखा है कि कैसे चीर पाइन सुई से ईंधन की लकड़ी के ब्रिकेट्स बनाए जाते हैं। हम उन्हें राज्य सरकार के कार्यालयों में बेचते हैं ताकि सर्दियों में कमरे गर्म हो सकें। “