महात्मा गांधी के नाम पर चलाई जा रही रोजगार योजना घोटाले का बायस बनती जा रही है। छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक इस घोटाले में आकंठ डूबे हुए हैं। पिछले दिनों से कांग्रेस से जुड़ी महिला ग्राम प्रधान लीला शर्मा पर मनरेगा के नाम पर गबन का बड़ा आरोप लगा था।जिसके विरूद्ध मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेसियों ने कैंट थाना पर धरना दिया था और उन पर लगे आरोपों को झूठा बताया था और कहा था कि भाजपा सरकार आने पर कांग्रेस से जुड़े लोगों पर चुन-चुनकर दंडित करने की कार्यवाही चल रही है। अब पुलिस ने आरोपी सहायक विकास अधिकारी डी.एस. राना को गिरफ्तार कर इस मामले में खुलासा करने का मन बना लिया है।
ग्राम प्रधान लीला शर्मा सहायक विकास अधिकारी डीएस राणा तथा कई अन्य अधिकारियों की भी इस मामले में अच्छी खासी मिली भगत हो सकती है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। जानकार सूत्रों का मानना है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वीटी अग्रवाल ने बताया कि अपराध संख्या 54/16 5 मई 2016 को लीला शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ था। खूबी तो यह कि 05 मई 2016 को कांग्रेस सरकार अस्तित्व में थी।
2017 में हुए चुनाव के बाद भाजपा सरकार शासन में आई,लेकिन अपनी ही सरकार में दर्ज हुए मुकदमें पर कांग्रेसियों ने जिस तरह से होहल्ला मचाया था कि वह इस बात का संकेत है कि दाल में काला है। अब इस मामले पर एडीओ की गिरफ्तारी मामले को और संगीन बना रही है। इस प्रकरण की जांच थाना प्रभारी शंकर सिंह विष्ट स्वयं कर रहे हैं ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो सके। एडीओ राणा को रविवार को देर रात गिरफ्तार किया गया था।