नई दिल्ली, मोदी 2.0 सरकार प्याज की महंगाई पर अलर्ट है। इस क्रम में सरकार ने प्याज के निर्यात पर दिए जाने वाले इंसेंटिव खत्म कर दिए। इसका उद्देश्य निर्यात को हतोत्साहित कर घरेलू बाजार में कीमतों में तेजी को थामना है। अभी तक प्याज निर्यातक मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम(एमईआईएस) के तहत 10 फीसदी इंसेंटिव का फायदा ले रहे थे।
प्याज एक महीने में 48 फीसदी हुआ महंगा
दरअसल प्याज की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक एशिया में प्याज की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव(महाराष्ट्र) में बीते एक महीने के दौरान कीमतें लगभग 48 फीसदी बढ़कर 13.30 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गईं है। वहीं, राजधानी दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमतें इस वक्त लगभग 20 से 25 रुपये प्रतिकिलो के आसपास बनी हुई है। जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्य इस साल सूखे जैसे हालात से गुजर रहे हैं। इसको देखते हुए सरकार ने ताजा और शीत भंडारित प्याज के निर्यात पर प्रोत्साहन समाप्त कर दिया है।
प्याज उत्पादन वाले राज्यों में है सूखा
महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उगाने वाले राज्य इस साल सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं। वहीं पहले के अनुमान के मुताबिक जून में समाप्त होने वाले चालू 2018-19 फसल वर्ष में प्याज उत्पादन मामूली रूप में थोड़ा अधिक यानी दो करोड़ 36.2 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि वर्ष 2017-18 में यह उत्पादन करीब दो करोड़ 32.6 लाख टन का हुआ था।