नई दिल्ली, कर्ज के बोझ तले दबी सरकारी विमानन कंपनी (पीएसयू) एयर इंडिया (महाराजा) की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र सरकार बेचने जा रही है, खरीददारों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है।
गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्री समूह ने सात जनवरी को इस सरकारी विमानन कंपनी के निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। एयर इंडिया पर 80 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। 17 मार्च तक एयर इंडिया के लिए बोली लगाई जा सकती है। केंद्र सरकार ने इसके लिए निविदा पत्र जारी किया है।
सरकार ने निविदा जारी कर अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इन्टरेस्ट (ईओआई) मांगा है। ईओआई जमा करने की आखिरी तारीख 17 मार्च रखी गई है। ईओआई के जरिये खरीददार से समयावधि अनुबंध होता है कि उनकी कंपनी एक निश्चित मूल्यांकन का भुगतान करने और औपचारिक प्रस्ताव के माध्यम से विक्रेता की कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए इच्छुक होगी।
उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 पर्सेंट शेयर सरकार के पास ही है। इससे पहले 2018 में एयर इंडिया में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव मोदी सरकार लेकर आई थी लेकिन इस डील के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। ऐसे में सरकार ने 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। अभी कंपनी पर 80,000 करोड़ रुपये का बकाया है। इसके अलावा उसका घाटा भी हजारों करोड़ रुपये का है।