नैनीताल हाइकोर्ट ने प्रदेश के जंगलों में लग रही आग पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बुधवार को राज्य सरकार को अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि वन विभाग में खाली पड़े 60 प्रतिशत पदों को 6 माह में भरा जाए। ग्राम पंचायतों को मजबूत किया जाए। इसके अलावा वर्ष भर जंगलों की निगरानी की जाए। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट ने कहा है कि क्या राज्य की भोगौलिक परिस्थिति को देखते हुए कृतिम बरसात कराना संभव है। कोर्ट राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि यह दिशा-निर्देश फौरन लागू किए जाएं। सरकार एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को बजट मुहैया कराए। आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर का भी उपयोग किया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि जंगलों में लगी आग को दो सप्ताह में बुझा दिया जाए।
हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक (प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट) को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में वर्चुअली मौजूद रहने को कहा था। पीसीसीएफ ने कोर्ट को विभाग के वनाग्नि से लड़ने की नीति और तकनीक की जानकारी दी। कोर्ट ने सरकार से अपेक्षा की है कि वो पूर्व और वर्तमान की जरूरी गाइड लाइन का पालन करेगी। पर्यावरण मित्रों ने कोर्ट को बताया कि 2017 में आग लगने से एनजीटी ने 12 बिंदुओं पर गाइड लाइन जारी की थी। इस पर आज तक सरकार ने अमल नही किया है। इस पर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि उस गाइड लाइन को छह माह में लागू किया जाए। इन निर्देशों के साथ हाईकोर्ट ने जनहित याचिका निस्तारित कर दी।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने इन द मैटर आफ प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट एरिया फॉरेस्ट हेल्थ ऐंड वाइल्ड लाइफ के नाम से दायर जनहित याचिका का स्वतः संज्ञान लिया था। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व राजीव बिष्ट ने हाईकोर्ट को प्रदेश के जंगलों में लग रही आग के संबंध में अवगत कराया था। इस पर हाईकोर्ट ने विभिन्न समाचार पत्रों में आग को लेकर छपी खबरों का गम्भीरता से संज्ञान लिया था।