उत्तराखंड की राजनीति में खास पहचान बना चुके हरक सिंह रावत की अनिश्चित स्थिति के साथ विश्लेषकों की नजर नैनीताल-भीमताल के चुनावी समीकरण पर लगी हुई है। फिलहाल हरक सिंह ‘न घर के-न घाट के’ दिख रहे हैं। कांग्रेस में वापसी के प्रयास करने पर भाजपा से निकाले गए, परंतु कांग्रेस में दो दिनों के बाद भी स्वीकार न किए गए कद्दावर नेता हरक सिंह रावत की वजह से नैनीताल जनपद की नैनीताल व भीमताल तक कई सीटों के समीकरण बदलने की उम्मीद है।
नैनीताल सुरक्षित सीट की पूर्व विधायक सरिता आर्य का भाजपा में आना हरक फैक्टर का ही परिणाम माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि हरक की ओर से अपनी बर्खास्तगी के बाद ‘आंसू गिराते’ हुए जो बेचारगी की तस्वीर मीडिया में पेश की जा रही थी, उससे ध्यान हटाने के लिए ही अचानक भाजपा की ओर से सरिता आर्य को पार्टी में शामिल कराने की पटकथा लिखी गई। कहा जा रहा है कि सरिता टिकट की गारंटी मिलने पर ही भाजपा में आई हैं। उनके भाजपा में आने के बाद अन्य दावेदारों में कमी देखी जा रही है, वहीं कांग्रेस की रणनीति भी प्रभावित हुई है।
उल्लेखनीय है कि सरिता नैनीताल नगर पालिका की पहली महिला पालिकाध्यक्ष और पहली महिला विधायक रह चुकी हैं। शहर में उनकी छवि अच्छी है। महिला होने के नाते वह यहां वोटों का गणित एक हद तक बदलने की क्षमता रखती हैं। अलबत्ता, ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी कमजोरी और पार्टी संगठन द्वारा उन्हें स्वीकार किए जाने पर अभी प्रश्न चिह्न बने हुए हैं।
उधर नैनीताल जनपद की दूसरी सीट भीमताल से पिछले चुनाव में निर्दलीय जीते व अब भाजपा में आए विधायक राम सिंह कैड़ा हरक के कांग्रेस में रहने के दौर से ही उनके बेहद करीबी माने जाते हैं। उन्हें इस बार भाजपा से टिकट दिलाने में भी हरक की बड़ी भूमिका हो सकती थी। अब हरक के भाजपा के बाहर जाने के बाद कैड़ा को टिकट का समीकरण भी गड़बड़ा गया है। यहां पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट भी टिकट की उम्मीद में हैं, जबकि मनोज साह ने तो चुनाव कार्यालय भी खोल दिया है।