हरिद्वार। धर्मनगरी के सरकारी अस्पताल में लगातार हो रही मौतों पर मामला प्रकाश में आने पर प्रशासन की नींद टूट गई। अस्पताल को नोटिस के साथ ही समय-समय पर निरीक्षण करने की बात कही जा रही है।
अस्पताल और डॉक्टरों को धरती पर भगवान और जीवन देने वाला माना जाता है, लेकिन यहां के अस्पताल में तो सिर्फ जेबों को भरने का काम किया जा रहा है। लावारिस लोगों को इलाज के नाम पर कोई सुख सुविधा ही नहीं दी जा रही है। उनको मिलती है तो सिर्फ मौत। इसका खुलासा एक आरटीआई के माध्यम से मांगी गई जानकारी में सामने आया है। 2014 से वहां जो भी इलाज के लिए गया सभी ने जान से हाथ धोया।
कोई भी अस्पताल से ठीक होकर वापस अपने घर नहीं जा सका। चार साल से हरिद्वार के सरकारी अस्पताल में लोगों की मौत लगातार हो रही है। हकीकत तब उजागर हुई जब हरिद्वार की गंग ज्योति मिशन संस्थान ने सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी थी कि हरिद्वार जिला अस्पताल में कितने लावारिस लोग जनवरी 2014 से अब तक भर्ती हुए और कितने लोगों को उपचार के दौरान ठीक कर डिस्चार्ज किया गया और कितनों ने जान गंवाई। मामला प्रकाश में आने के बाद शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया।
अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) मनीष कुमार ने मामले को गंभीर बताया। उनका कहना है कि जितने भी लावारिस लोग भर्ती हो रहे हैं, उनकी मौतें लगातार हो रही हैं, जिसमें कहीं न कहीं डॉक्टरों की लापरवाही सामने आती दिख रही है, जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए। लावारिस मरीजों की मौत का सवाल चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डा. अर्जुन सिंह सेंगर से पूछा गया तो उन्होंने आरटीआई में दी गई जानकारी को गलत बताया। उन्होंने कहा कि वहां बहुत से लावारिस मरीज आते हैं, जिनके लिए अलग से वॉर्ड बनाए गए हैं, उनको तमाम सुविधाएं दी जाती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि जिस डॉक्टर ने ये गलत जानकारी दी है उसको नोटिस जारी किया जाएगा। मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम ने कहा कि अस्पताल को नोटिस भेज दिया गया है और जितने भी लवारिस लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं, उनकी देखभाल भी सही तरीके से की जाएगी, साथ ही समय-समय पर अस्पताल का निरीक्षण भी किया जाएगा ताकि उन्हें पता चल सके कि अस्पताल की क्या स्थिति है। हैरानी की बात तो ये है कि हरमिलाप अस्पताल में आए दिन विधायक मंत्री और जिला प्रशासन के लोग निरीक्षण करने आते रहते हैं, लेकिन लावारिस वार्ड में जाकर कोई नहीं देखता। जब किसी बड़े अधिकारी के आने की सूचना मिलती है तो आनन-फानन में व्यवस्थाओं को ऊपर से सही कर दिया जाता है।