नौ साल में 1534 लोगों की जान ले चुका हरिद्वार राजमार्ग

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हरिद्वार। सात साल बीत जाने के बाद भी धर्मनगरी में हाईवे के फोरलेन निर्माण का काम अधूरा पड़ा हुआ है। जिसके कारण लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा। वहीं फोरलेन हाईवे के काम की वजह से सड़कों पर कई जगह गड्ढे हो गये हैं, जो अब मौत का सबब बन गये हैं, इस हाईवे के चैड़ीकरण में पिछले कई सालों से कछुए की चाल से काम हो रहा है। जिसके कारण यहां आये दिन जाम, दुर्घटना जैसी समस्याएं आम बात है।
धर्मनगरी हरिद्वार में कई सालों से हाईवे का काम अधूरा लटका पड़ा है। जिसके कारण लोगों को आये दिन कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाइवे के चैड़ीकरण के कारण सड़कों पर कई जगह गड्ढे हो गये हैं जो आये दिन किसी न किसी दुर्घटना को बुलावा देते हैं।
लगभग नौ साल बीत जाने के बाद भी हरिद्वार-दिल्ली हाईवे के फोरलेन का काम आज भी अधूरा है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार हाईवे का काम पूरा ना होने की वजह से 2009 से अब तक ये अधूरा हाईवे लगभग 1534 लोगों की जान ले चुका है। जबकि यहां हुए हादसों में 3000 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। ये आंकड़ा अपने आप में बहुत डराने वाला है।
हरिद्वार जिसे उत्तराखंड के प्रसिद्ध चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार कहा जाता है, वहां यातायात व्यवस्था बहुत ही लाचार स्थिति में पहुंच गई है। देहरादून-दिल्ली हाईवे 58 पिछले कई सालों से अपने पूरे होने की बाट जो रहा है। बीते सालों में केंद्र और सूबे दोनों की ही सरकारें बदली, बावजूद इसके इस हाइवे के सूरते हाल में कोई बदलाव नहीं आया। पिछले कई सालों से हरिद्वार के व्यापारियों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों द्वारा इस अव्यवस्था के खिलाफ कई तरह के आंदोलन किये गये। लेकिन आज तक नतीजे सिफर ही निकले। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अधूरे हाइवे के कारण लोगों को यहां घंटो जाम में फंसना पड़ता है। गाड़िया इस हाइवे पर रेंगती हुई चलती हैं। लोगों को कहना है कि यात्री सीजन हो या कोई और समय इस हाइवे के आधे-अधूरे निर्माण की वजह यहां न जाने कितनी दुर्घटनाएं होती है। लेकिन बावजूद इसके आजतक प्रशासन ने इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। वहीं सीडीओ एवं प्रभारी जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर इस विषय को गंभीरता लिया गया है और राजमार्ग विकास प्राधिकरण से भी संपर्क कर कार्य में तेजी लाने को कहा गया है।