ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज और उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री की मुलाकात दिल्ली, उत्तराखण्ड सदन में हुई।
इस बैठक में ’हरिद्वार के सौंद्रर्यीकरण एवं हरित तीर्थीकरण’ पर विस्तृत चर्चा हुई। स्वामी जी ने हरिद्वार में किल वेस्ट, कचरा संयोजन मशीने को लगाने का भी सुझाव दिया जिससे गीले एवं सूखे कूडे़ का प्रबंधन किया जा सके साथ ही जैविक एवं हरित शौचालयों केे निर्माण एवं प्रबंधन पर भी स्वामी ने जोर दिया जिससे तीर्थक्षेत्र खुले में शौच से मुक्त हो सके। उन्होनेे कहा कि देश-विदेश से आने वाले यात्रियों की मूलभूत आवश्यकतायें पूरी हो और वे तीर्थक्षेत्र को भी अपने घर की तरह महसूस कर सके। साथ ही इन मूलभूत आवश्यकताओं का उचित प्रबंधन भी हो ताकि बनने के बाद उनका उपयोग एवं प्रबंधन होता रहे। उस प्रबंधन एवं स्वच्छता को देखकर लोगों को संदेश मिल सके।
स्वामी जी ने कहा कि कचरा प्रबंधन, स्वच्छता प्रबंधन एवं जल संरक्षण के साथ पूरा कुम्भ क्षेत्र पूरे विश्व के लिये उदाहरण स्थल बनेगा इसमें प्रवेश करने पर स्वच्छ हरित कुम्भ द्वार का दर्शन होगा जिससे लगेगा ही हमने इसी स्थान पर चारों धाम के दर्शन कर लिये हो; इस द्वार से ही चारों धामों की झलक मिलेगी इस प्रकार उस द्वार की व्यवस्था की जायेगी। साथ ही अन्य कई व्यवस्थाओं के साथ हर की पौड़ी का पूरा क्षेत्र महक उठेगा और जय गंगा मैय्या के अद्भुत संगीत से चहक उठेगा उस दृश्य की छटा ही निराली होगी। वैसे भी हरिद्वार और हर की पौड़ी क्षेत्र ने पूरे विश्व को अपने ओर आकर्षित किया है अब इस क्षेत्र को और सुन्दर, अद्भुत और अविस्मर्णीय बनाना है।
हरिद्वार सौंदर्यीकरण के संदर्भ में पहली बैठक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और केंद्रीय परिवहन और जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी के मध्य हुई थी।
आगे इसी संदर्भ में स्वामी जी महाराज की चर्चा शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक जी, फारेस्ट विभाग के अधिकारी, हरिद्वार जिलाधिकारी, विकास प्राधिकरण विभाग, गंगा महासभा एवं सभी सम्बंधित विभागों से भी होगी ताकि हरिद्वार के सौंदर्यीकरण के लिये शीघ्र ही सभी सम्बंधित विभाग एक रूपरेखा तैयार कर पाये जिससे इस कार्य हेतु प्रभावी कदम उठाये जा सके।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि, “पूरा उत्तराखण्ड राज्य देवभूमि है। इस राज्य में गंगा जैसी पवित्र नदी है और साथ ही हिमालय जैसी स्वच्छता भी विद्यमान है। हिमालय दुनिया का दूसरे नम्बर का आॅक्सीजन उत्पादक है हम मिलकर प्रयास करे तो इसे शीघ्र ही अमेजन से अधिक आॅक्सीजन उत्पादक बना सकते है। हमारा राष्ट्र विश्व गुरू तो है ही जल्दी ही सर्वोच्च आॅक्सीजन प्रदात्ता भी बन सकता है।”