उत्तराखंड विस चुनाव: हारने का रिकॉर्ड स्थापित कर गए हरीश रावत

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हरीश रावत

इसमें कोई दो राय नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तराखंड में सबसे लोकप्रिय कांग्रेस नेता हैं। वे अपने बल पर 2002 और 2012 में कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में कामयाब हुए थे, लेकिन उन्होंने हारने का भी रिकॉर्ड बनाया है। इसके बावजूद वे प्रदेश के लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं।

हरीश रावत सर्वप्रथम सातवां लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचने वाले युवा नेता थे। वे 1980, 1984 और 1989 में लगातार तीन बार अल्मोड़ा संसदीय सीट से जीत कर संसद पहुंचे हैं। वे पहले इंदिरा गांधी फिर राजीव गांधी के करीबी नेताओं में शुमार रहे हैं। जीत की हैट्रिक लगाने के बाद इसी अल्मोड़ा की जनता ने उन्हें चुनाव में हार का मुंह दिखाया।

अल्मोड़ा संसदीय सीट पर वे जीत की हैट्रिक के बाद हार का चौका भी लगा चुके हैं। वे 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार हार का भी स्वाद चखना पड़ा। किसी नेता के लिए लगातार चार हार कम नहीं होता। ऐसे नेताओं का कई बार राजनीतिक कैरियर खत्म हो जाता है। इसके बावजूद हरीश रावत ने हार नहीं मानी।

2004 के चुनाव के समय वे राज्यसभा सदस्य थे, इसलिए वे वह चुनाव नहीं लड़े थे। 2009 में उन्होंने अपना सीट बदलकर अल्मोड़ा से हरिद्वार आ गए। 2009 के चुनाव में हरिद्वार से उन्हें बड़ी जीत मिली। इस जीत के साथ वे केंद्र में राज्यमंत्री और बाद में केंद्रीय मंत्री भी बने।

2012 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान वे केंद्रीय राज्यमंत्री थे। उस चुनाव में उन्होंने काफी मेहनत की। नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया। वे मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार थे। उन्हें उम्मीद थी की पार्टी आलाकमान उन्हें दिल्ली से देहरादून भेजेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पार्टी ने उनके स्थान पर विजय बहुगुणा को दिल्ली से देहरादून भेजा। उस वक्त कांग्रेस के 33 विधायकों में 20 विधायक इनके समर्थन में दिल्ली आवास पर पहुंच गए।

उनके समर्थक उनसे इस्तीफा देने को कह रहे थे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। पार्टी ने उनका प्रमोशन राज्यमंत्री से केंद्रीय मंत्री बनाया गया। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद विजय बहुगुणा को बदलकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। एक तरह से हरीश रावत की इच्छा पूरी हो गई, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद वे पार्टी को संभालकर नहीं रख पाएं।

उनके कार्यकाल में उत्तराखंड कांग्रेस में सबसे बड़ी टूट हो गई। 11 विधायक पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। बाद में ये सभी भाजपा में आ गए थे। 2017 में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत दो सीटों से चुनाव लड़े। हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से हरीश रावत चुनाव लड़े। उन्हें दोनों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। हरिद्वार ग्रामीण से उनकी 14 हजार से ज्यादा वोट से हार हुई।

इसके बाद भी वे प्रदेश में घूमते रहे और कांग्रेस को मजबूत करने में जुटे रहे। इस चुनाव से पहले वे खुद को मुख्यमंत्री घोषित करने का दबाव पार्टी पर डालने का भरपूर कोशिश की, लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया। पार्टी ने उन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया। चुनाव के दौरान उन्होंने कई बार ऐसे बयान दिए, जिसमें उनका दर्द साफ़ झलकता था।

उन्हें रामनगर से मैदान में उतारा गया, लेकिन पार्टी में विरोध के कारण उनका सीट परिवर्तन कर लालकुआं भेजा गया। इसके बावजूद वे चुनाव जीत नहीं पाए। वे करीब 15 हजार वोटों से हारें हैं। इस हार के साथ उन्हें 2014 में संसदीय चुनाव हारने के बाद 2017 में विधानसभा के दो सीट पर लड़े और दोनों पर हार गए। फिर इन्हें 2019 के आम चुनाव में फिर से हार का मुंह देखना पड़ा। उन्हें उम्मीद थी की इस बार जनता उन्हें वोट का आशीर्वाद देगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

इस हार के बाद उन्होंने एक बहुत ही भावुक पोस्ट फेसबुक पर लिखा। उन्हें लिखा कि लालकुआं विधानसभा क्षेत्र से मेरी चुनावी पराजय की औपचारिक घोषणा ही बाकी है। मैं लालकुआं क्षेत्र के लोगों से जिनमें बिंदुखत्ता, बरेली रोड के सभी क्षेत्र सम्मिलित हैं, क्षमा चाहता हूं कि मैं उनका विश्वास अर्जित नहीं कर पाया और जो चुनावी वादे उनसे मैंने किये, उनको पूरा करने का मैंने अवसर गवां दिया है, बहुत अल्प समय में आपने मेरी तरफ स्नेह का हाथ बढ़ाने का प्रयास किया। मैं अपने आपको आपके बड़े हुए हाथ की जद में नहीं ला पाया।

वे आगे लिखते हैं कि कांग्रेसजनों ने अथक परिश्रम कर मेरी कमजोरियों को ढकने और जनता के विश्वास को मेरे साथ जोड़ने का अथक प्रयास किया उसके लिए मैं अपने सभी कार्यकर्ता साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूंँ। एक बार राजनीति स्थिति में स्थायित्व आ जाए, लोगों का ध्यान अपने दैनिक कार्यों पर आ जाए तो मैं, लालकुआं क्षेत्र के लोगों को धन्यवाद देने के लिए उनके मध्य पहुंचूंगा। उन्होंने मुझसे श्रेष्ठ उम्मीदवार को अपना प्रतिनिधि चुना है उनको और उनके द्वारा चयनित उम्मीदवार को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई और आगे के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।