देहरादून। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर निजी मेडिकल यूनिवर्सिटी की फीस बढ़ोतरी सहित अन्य मोर्चे पर विफल बताते हुए जमकर निशाना साधा। उन्होंने सरकार से तत्काल इस फैसले को वापस लेने की मांग की। साथ ही उन्होंने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को सेना देने के फैसले पर भी आपत्ति जताई है।
शुक्रवार को पूर्व सीएम हरीश रावत ने कांग्रेस मुख्यालय में प्रेसवर्ता में प्रदेश सरकार पर जमकर सवाल उठाए। राजधानी में बेरोज़गारों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज को लेकर हरीश ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला। उन्होंने प्रदेश के साथ-साथ केंद्र की मोदी पर सरकार पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि नए पदों का सृजन नहीं किया जा रहा है लेकिन खाली पदों को समाप्त किया जा रहा है। प्रदेश में निवेश कांग्रेस के समय में ही आ चुका है और आज त्रिवेंद्र रावत की सरकार ढोंग के अलावा कुछ नहीं कर रही है। यहां तक की हरीश ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को सेना को सौंपने पर भी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा तैयार किए गए इस कॉलेज को सेना को देना सही नहीं है। सरकार ने पाले पोसे अस्पताल को सेना को देकर ठीक नहीं किया।
हरीश ने रोज़गार के मसले पर केंद्र और राज्य की सरकार को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि सरकार के बजट को भी श्राप बताया। उन्होंने खनन और रामदेव शरणम गच्छामि वाला बताया। इसके बाद त्रिवेंद्र सरकार के बजट से गैरसैंण के गायब होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि गैरसैंण विकास निगम के लिए बजट नहीं दिया गया। कांग्रेस सरकार में मैंने प्रवेश और फीस नियंत्रण समिति का गठन किया था। शैक्षणिक संस्थानों की फीस का निर्धारण यह समिति करती थी। वर्तमान सरकार ने यह अधिकार विश्वविद्यालय को दिया है। इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। यह राज्य के छात्रों के साथ अन्याय है।
पूर्व सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री जिन कॉलेजों को निवेशक बताते हुए रियायत देने की बात कर रहे है, उनकी स्थापना तो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही हो गई थी। अब भला मुख्यमंत्री किस आधार पर उन्हें रियायत देने की पैरवी कर रहे हैं। सरकार इस प्रकार अनेकों जनविरोधी निर्णय ले रही जिससे राज्य के लोग परेशान है जिसका खामियजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।