हरिद्वार, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने बयानों और कार्यों के कारण हमेशा मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं। वे कभी चाय बनाते नजर आते हैं तो कभी जलेबी और कभी चाउमीन। उनके बयान भी सत्ता के गलियारों में भूचाल लाने का काम करते हैं। ऐसा ही एक भूचाल उनके ट्वीट से हरिद्वार समेत प्रदेश की राजधानी में आ गया है। जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फिर से ऐसा ही एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि हरिद्वार में बहुत सारी धर्मशालाएं, खोलियां और प्रॉपर्टीज बिकती हैं। मगर एक तारीफ की बात यह है कि बेचने वालों में भी नाम करीब-करीब एक ही तरीके के आते हैं। दो, तीन, चार नाम और खरीदने वालों में भी एक ही नाम आता है। तो ये संजोग इतने साल हरिद्वार की सेवा करने के बाद भी नहीं समझ पाया।
पूर्व सीएम हरीश रावत का यह ट्वीट किसके लिए किया गया है। इस पर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी हैं। कुछ लोग इसे सही बता रहे हैं तो कुछ राजनैतिक लाभ के लिए किया हुआ ट्वीट।
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार संतों की नगरी के साथ धर्मशालाओं की नगरी भी कही जाती थी। यात्रियों की सुविधा के लिए धनाढ्य लोगों ने यहां वर्षों पूर्व धर्मशालाओं का निर्माण कराया था जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को रात गुजारने के लिए छत नसीब हो सके। किन्तु कुछ समय से हरिद्वार में धर्मशालाओं का स्वरूप बिगड़ गया है। धर्मशालाओं ने अब होटल और लॉज का रूप ले लिया। कुछ धर्मशालाएं बिक गयीं और कुछ या तो बिकने की श्रेणी में हैं या फिर उन्हें खुर्दबुर्द करने का कार्य किया जा रहा है। इतना ही नहीं हरिद्वार में अधिकांश धार्मिक सम्पत्तियों को खुर्दबुर्द किया जा चुका है। ऐसे में हरीश रावत का ट्वीट कहीं न कहीं इन सम्पत्तियों को खुर्दबुर्द करने वालों को चुभना लाजमी है। हरीश रावत ने अपने ट्वीट से एक बार फिर राजनैतिक भूचाल ला दिया है, किन्तु उन्होंने धर्मशालाओं को खरीदने वाले के नाम का खुलासा नहीं किया। वैसे यह जनता है सब जानती है। जब हरदा ने अपने ट्वीट रूपी कमान से तीर छोड़ ही दिया है तो इस पर अब राजनीति का गर्म होना लाजमी है।