सरकारी दावों का सच: अस्पताल में नहीं बेड, कोरोना टेस्ट के लिए भटक रहे मरीज

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कोरोना
राजधानी देहरादून में कोरोना की दूसरे लहर से लगातार संक्रमित मरीजों के मिलने से चिकित्सालय में आईसीयू बेड पूरी तरह फुल हो गए है। क्रिटिकल केयर के मरीजों के लिए जगह खाली नहीं है। मरीज टेस्ट और भर्ती के लिए अस्पताल में उम्मीद के साथ चक्कर लगा रहे है लेकिन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। सभी काउंटर पर अगले  दिन टेस्ट कराने की बात कह कर लौटाया जा रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से कोरोना उपचार की सभी उपलब्धता के दावें एक बार फिर खोखले साबित हो रहे हैं।
उत्तराखंड के बड़े अस्पतालों में सुमार राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में मंगलवार को भी लोग कोरोना सैंपल के लिए भटकते नजर आए। जांच के लिए पंजीकरण काउंटर कुछ समय के लिए स्टाप उपलब्ध नहीं रहे। जिससे लोगों को जानकारी के लिए परेशानी उठानी पड़ी। वहां तैनात गार्ड से लोग कोविड टेस्ट की जानकारी ले रहे थे। इस दौरान अगले दिन आने की जानकारी दी जा रही थी। बता दें कि मंगलवार सुबह दो दिन बाद दून अस्पताल में कोविड जांच सेंटर शुरु किए गए।  इस कारण बड़ी संख्या में टेस्ट के लिए लोग आए।
परिवार में एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद कोरोना टेस्ट कराने पहुंचे दून निवासी प्रवीण गांधी अपनी बारी के इंजतार में घंटों लाइन में खड़े रहे। बावजूद उनका नंबर नहीं आया। उनकों कल जांच कराने की बात कह कर लौटा दिया गया। वे दौड़े-दौड़े दून मेडिकल कालेॅज में संबंधित अधिकारी से जांच के लिए गुहार लगाने पहुंचे। इस दौरान उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। वे बताए कि अपना और अपने भाई हरीश गांधी का कोविड टेस्ट कराने के दून अस्पताल पहुंचे। लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते कोविड टेस्ट नहीं हो पाया। ऐसे में यदि दोनों संक्रमित पाए जाते है तो अन्य लोगों में संक्रमण की संभावनाएं बन जाएगी।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच मेडिकल स्टाप का लगातार संक्रमित होना भी टेस्टिंग की गति को रोक रहा हैं। जो चिंताजनक है। दून मेडिकल कॉलेज में लगभग 50 स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।  ये वो स्वास्थ्य कर्मी है जो टेस्टिंग से लेकर मरीजों की सेवा में लगे हैं। वहीं दून मेडिकल कॉलेज के एक स्टाप नर्स संक्रमित होने के बाद क्रिटिकल अवस्था में आईसीयू में कोरोना से लड़ाई लड़ रही है। दून अस्पाल में राज्य हीं नहीं अन्य प्रदेश के कोविड मरीज भी उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। जिस कारण आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं। इससे अस्पताल प्रबंधन के समाने चुनौतियों बढ़ती जा रही है। सोमवार की रात दून अस्पताल में कानपूर से आए एक कोरोना संक्रमित मरीज को उपचार के लिए भर्ती किया गया।
सचिव प्रभारी स्वास्थ्य पंकज पाण्डेय पहले ही जिलें के मरीजों को देहरादून के वजाए अपने जिलों में उपचार को लेकर आवश्यक निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि देहरादून में राज्य और बाहर के मरीज के चलते  संख्या बढ़ती जा रही है।
330 बेडों में कोविड मरीज ले रहे उपचार
दून अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी महेन्द्र भंडारी ने बताया कि अस्पताल में कुल 380 बेड उपलब्घ है। जिसमें 330 बेडों में कोविड मरीज उपचार ले रहे हैं। चिकित्सालय में आईसीयू 120 बेड उपलब्ध है जो भी वर्तमान में फुल है। आक्सीजन और रेमडेसिविर  इंजेक्शन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
कोविड की संक्रमण को देखते हुए अन्य बीमारी से ग्रसित मरीजों की भर्ती होने की स्थिति में उन्हें कोरोनेशन अस्पताल रेफर किया जा रहा है ताकि उन मरीजों में संक्रमण न फैल सके।
दो दिन लैब बंद होेने से बढ़ी  भीड़
दून मेडिकल अस्पताल के प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष सयाना ने बताया कि लोग कोरोना को लेकर पैनिक हो रहे हैं। जिस कारण वो जांच के लिए बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं। भीड़ बढ़ने का मुख्य कारण लैब से संबंधित छह अस्पताल कर्मी का संक्रमित होने के चलते दो दिन के लिए लैब बंद होना भी रहा।
जांच के लए लंबी कतारें 
इधर, कोरोनेशन अस्पताल में भी जांच के लए लंबी कतारें देखने को मिल रही है। अस्पताल में रैपिड एनटेजीन और आरटीपीसीआर टेस्ट किए जा रहे है। वहीं कोरोनेषन अस्पताल में रैपिड जांच प्राइवेट डयग्नोस्टिक लैब संचालित कर रही है। यदि कोई जांच के बाद संक्रमित पाया जा रहा है ते इसकी जानकारी सीएमओं को दी जा  रही है। लेकिन चिंता की बात है कि जो लोग कोरोनेशन अस्पताल में जांच कराने पहंच रहे है उनमे से ज्यादातर लोग संक्रमित आने आने बाद इस चीज को छुपाकर निकल जा रहे हैं। जो चिंताजनक विषय है। इनमें से अधिकतर युवा है।
इस संबंध में कोरोनेशन अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनोज उप्रेती का कहना है कि अस्पताल में प्रतिदिन 100 से ज्यादा सैंपल कोविड जांच के लिए जा रहे है।  इसमें से हर दिन 30 के करीब संक्रमित मामले आ रहे हैं। अस्पताल की ओर से जांच कोरोना संक्रमित आने पर उस व्यक्ति को संक्रमित होने की जानकारी दी जा रही है तो कुछ लोगे आइसोलेट कर रहे है। लेकिन यंग जनरेशन बिना बताए निकल जा रही है। जिसके बाद उनकी दूरभाष से कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है।