प्रधानमंत्री ने लगवाई थी लाइटें, फिर हुआ अंधेरा

0
301
प्रधानमंत्री
Representational image

नौकरशाही के काम करने का ढंग अनूठा होता है। वह कई बार अपने काम को भी उचित ढंग से अंजाम नहीं देती। इसका प्रमाण एक युवती के पत्र पर प्रधानमंत्री ने जिस जंगल में लाइटें लगवाई थीं, वर्तमान में वहां अंधेरा ही अंधेरा है। ग्रामीणों ने अधिकारियों से लेकर सीएम तक गुहार लगा दी लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।

जाखन से जोहड़ी गांव की तरफ जाने वाले रास्ते में चढ़ाई खत्म होते ही जंगल शुरू हो जाता है। यह जंगल नशेडियों, भंगेडियों के लिए स्वर्ग की तरह है। यहां पर जंगल के अंदर बैठकर वह अपने नशे की पूर्ति करते हैं और अंधेरा तो मानो इनके लिए वरदान साबित होता है। अंधेरे में इनको देखने वाला कोई नहीं होता और आम आदमी वहां रुकने की जरूरत तक नहीं करता है।

लगभग दो वर्ष पूर्व एक युवती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर सारी व्यथा लिख दी थी, जिसको काफी गम्भीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री की पहल पर वहां पर लाइटें लगवायी गयी थीं। इससे वह जंगल का इलाका रोशन हो गया और आम जन को वहां से गुजरने में कोई परेशानी नहीं होने लगी थी। अब वह जगह नशेड़ियों और असामाजिक तत्वों के लिए खतरा बन गयी थी, वह खुलेआम अब कुछ भी कर पा रहे थे। वहां लगी लाइटें खराब हो गयी इसी दौरान नशेड़ियों की मुराद पूरी हो गयी और एक बार फिर से वहां पर अंधेरे का राज कायम हो गया।

ग्रामीणों ने इस बात की शिकायत स्थानीय स्तर पर कई बार विभागीय अधिकारियों से की लेकिन अधिकारियों ने एक कान से सुनी दूसरे कान से निकाल दी। इसके बाद कुछ जागरूक ग्रामीणों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी डाल दी लेकिन वहां भी कोई सुनवायी होती नहीं दिखायी दी।