हाईकोर्ट ने आयुर्वेदिक कालेजों पर 50 लाख रुपये का जुर्माना किया

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हाईकोर्ट
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय की काउंसिलिंग में शामिल किए बिना निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों द्वारा 474 छात्रों को अपने संस्थानों में प्रवेश देने पर 50 लाख का जुर्माना किया है। हाईकोर्ट ने जुर्माने की राशि 5 मार्च तक आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के खाते में जमा कराने और इन छात्र-छात्राओं के भविष्य को देखते हुए आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय को नामांकन दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने की। मामले के अनुसार नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को आयुर्वेदिक कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति थी। आयुर्वेदिक कॉलेजों की सीटें रिक्त रहने पर बिना नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति शासन से मिल गई थी। इसके लिए 15 नवम्बर 2018 की अंतिम तिथि थी। इस तिथि के बाद भी निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों की सीटें रिक्त रह गईं। इन कालेजों ने  आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में अभ्यर्थियों का पंजीयन किए बिना ही उन्हें प्रवेश दिया। आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के इन छात्र छात्राओं का पंजीयन न करने के खिलाफ निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों की संस्था एसोसिएशन ऑफ कम्बाइंड  इंटरेंस एक्जामिनेशन ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हिमालया आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज देहरादून के प्रधानाचार्य व निदेशक को फौरी राहत, अवमानना याचिका निरस्त 
उत्तराखण्ड हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ के समक्ष हिमालया आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज देहरादून के प्रधानाचार्य अनिल कुमार झा व निदेशक कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उनको फिलहाल राहत देते हुए याचिकर्ताओं को यह अनुमति दी है कि वे दुबारा से अवमानना याचिका दायर कर सकते हैं। मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने अवमानना याचिका को यह कहकर निरस्त कर दिया कि इसमें कुछ टंकण सम्बन्धित गलतियां हैं।
मामले के अनुसार उत्तराखंड सरकार ने 14 अक्टूबर, 2015 को शासनादेश जारी कर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की फीस 80 हजार से बढ़ाकर 2.15 लाख कर दी थी । इसे आयुर्वेदिक कॉलेजों से बीएएमएस कर रहे छात्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 9 जुलाई, 2018 को उक्त शासनादेश को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ बताते हुए उसे निरस्त कर दिया और मेडिकल कॉलेजों से बढ़ी हुई फीस जो छात्रों से ली गई थी उसे वापस करने के आदेश दिए थे। एकलपीठ के इस आदेश को आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन ने खण्डपीठ में चुनौती दी। इसे खण्डपीठ ने खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया । किंतु लंबे समय बाद भी आयुर्वेदिक कॉलेजों ने यह फीस वापस नहीं की, जिसके खिलाफ कॉलेज  के  छात्रा मनीष कुमार  व अन्य ने अवमानना याचिका दायर की ।