देहरादून, किसी गीतकार की कलम से निकला यह गीत “जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों” उत्तराखंड के हाई कोर्ट के न्यायाधीशों पर सटीक बैठ रहा है, जो काम सरकार को करना चाहिए उस पर राज्य सरकारे कान बंद करके बैठी हुई है, ऐसे में आम लोगों की पीड़ा को समझ कर हाई कोर्ट लगातार सरकार और प्रशासन को आईना दिखा रहा है।
ऐसा ही बेहतरीन न्याय नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और मनोज तिवारी की खंडपीठ ने अपने आदेश में ऋषिकेश एम्स प्रशासन को बढ़ा हुआ शुल्क प्रभावित रोगियों को वापस करने के आदेश दिए हैं और अपने इस आदेश में कहा है कि, “एम्स ऋषिकेश रोगियों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ही उपचार शुल्क वसूले, गौरतलब है कि एम्स ऋषिकेश में अक्टूबर 2017 में केंद्रीय स्वास्थ्य योजना से संबंधित उपचार शुल्क लागू किया था यह शुल्क दिल्ली एम्स की तुलना में कई गुना अधिक था।” जिस पर मीडिया ने ऋषिकेश एम्स को कटघरे में खड़ा कर दिया था, मीडिया और लोगों के विरोध के बाद यह शुल्क वापसी ले ली गई थी, फिर भी लोगों में शुल्क वृद्धि का डर बना हुआ था ।
वाराणसी निवासी प्रवीण कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी याची प्रवीण सिंह ने बढ़ी हुई फीस के विरोध में ऋषिकेश एम्स में आमरण अनशन भी किया था। प्रवीण सिंह का कहना था कि एम्स ऋषिकेश में पहाड़ी क्षेत्रों से रोज ही बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं जो इस बढ़ी हुई फीस को चुका नहीं पाते और उनको परेशानी का सामना करना पड़ता है।
नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ऋषिकेश एम्स को आदेश दिया है कि रोगियों की आर्थिक स्थिति देखकर उपचार शुल्क वसूला जाए। कोर्ट का निर्णय आम जनता के हित में एक स्वागत योग्य कदम है जिसका फायदा सदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी उठा पाएंगे जिनके लिए एम्स का निर्माण ऋषिकेश में हुआ है।