उच्च न्यायालय ने दिए एमबीबीएस डॉक्टर और पुलिस तैनाती के निर्देश

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देहरादून। राष्ट्रीय दृष्टि बाधितार्थ संस्थान (एनआईवीएच) के प्रकरण पर उच्च न्यायालय नैनीताल ने स्वत: संज्ञान लेकर संस्थान में एमबीबीएस डॉक्टर और पुलिस कर्मियों की तैनाती कर दी है। संस्थान सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अदालत ने बुधवार को मामले पर सुनवाई कर यह निर्देश दिए हैं। न्यायालय में मामला पहंच जाने के कारण संबंधित लोगों में काफी हड़कंप है।
एनआईवीएच के छात्र-छात्राओं ने कुछ शिक्षकों पर यौन शोषण का आरोप लगा था। संस्थान के बच्चे धरने पर बैठे थे। इस संदर्भ राज्य बाल आयोग की अध्यक्षा ऊषा नेगी तथा महिला बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने संस्थान का भ्रमण कर मामले की जानकारी ली थी। इस प्रकरण पर उच्च न्यायालय नैनीताल ने स्वत: संज्ञान लेकर राज्य सरकार को सुरक्षा के लिए कई निर्देश दिए थे। अदालत ने सुनवाई करते हुए गत 30 अगस्त को सचिव डी सेंथिल पांडियन को जांच अधिकारी नियुक्त कर जांच रिपोर्ट मांगी थी किन्तु उनके विदेश में होने के कारण यह रिपोर्ट पेश नहीं हो पाई। अब न्यायालय ने संस्थान में एमबीबीएस चिकित्सक नियुक्त करने के साथ-साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कहा है कि वह एक महिला उप निरीक्षक के साथ दो कांस्टेबलों को संस्थान में नियुक्त कराये जो नियमित निरीक्षण करेंगी। न्यायालय ने अन्य मामलों पर भी सरकार को निर्देश दिया है जिनमें कहा गया है कि बिजली आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए 48 घंटों के अंदर जनरेटर की व्यवस्था करने को कहा था। खंडपीठ ने संस्कृति सचिव को आदेश दिया था कि एनआईवीएच में खेल मैदान बनाया जाए। बच्चों को खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल कराया जाए।