सरकार बचा रही, न्यायालय ने दिए उजाड़ने के आदेश

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हाईकोर्ट

देहरादून । उत्तराखंड सरकार और हाईकोर्ट नैनीताल लगातार एक दूसरे के विरुद्ध अभियान जैसा चला रहे हैं। हर सरकारी आदेश पर कोर्ट का कोड़ा चल रहा है। जिसके कारण सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ रही है। इस संदर्भ में हाल फिलहाल का आदेश लिया जा सकता है। जिसमें हाईकोर्ट नैनीताल ने अवैध निर्माणों को हटाने के लिए राजस्व विभाग को निर्देश दिए हैं। एक ओर सरकार राजधानी देहरादून की बस्तियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाकर उन्हें तीन साल की मोहलत दे चुकी है, लेकिन इसी सप्ताह उच्च न्यायालय नैनीताल ने नदियों के किनारे के पट्टों को निरस्त करने और छह माह में अवैध निर्माणों को हटाने के जो निर्देश भूराजस्व विभाग को दिया है। यह इस बात को इंगित करता है कि सरकार जिन बस्तियों को बचाना चाह रही है, कोर्ट न्यायालय उन पर बुल्डोजर चलवाना चाहता है।
नैनीताल उच्च न्यायालय के इस निर्णय का सबसे प्रभाव राजधानी देहरादून में पड़ रहा है जहां पूर्व और पश्चिम छोर से निकलने वाली नदियों रिस्पना और बिंदाल के क्षेत्र इस आदेश से प्रभावित हो रहे हैं। इन नदियों के पांच किमी के दायरे में पचास हजार से भी ज्यादा कब्जेधारक है । हालांकि इन कालोनियों का निर्माण राजधानी बनने से पूर्व कराया गया था जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरेंद्र मोहन उनियाल, राजकुमार जो राजपुर के पर्व विधायक रह चुके हैं, विवेकानंद खंडूरी समेत दर्जनों नेता थे जो उस समय सत्तारुढ़ दल से जुड़े थे। उन लोगों ने मतों की राजनीति के कारण इन बस्तियों को बसाया।
इन क्षेत्रों में जो प्रमुख कालोनियां बसी है उनमें गांधी ग्राम, राजीव नगर, भगत सिंह कालोनी, वाणी विहार, अधोईवाला, केदारपुरम सहित अनेक कालोनियां के नाम शामिल है। इतना ही अब नदियों के किनारे कई महत्वपूर्ण सरकारी विभाग भी बन गए है, जिनमें दूरदर्शन केंद्र, दून विश्वविद्यालय, विधानभवन, नेहरू कालोनी थाना, सचिवालय कालोनी व आंगनवाडी केंद्र सहित अनेक भवन ऐसे हैं जो उच्च न्यायालय के इस आदेश के परिक्षेत्र में आते हैं। उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों का पालन किया जाता है तो इन सभी भवनों, कालोनियों पर न्यायालय का चाबुक चलेगा। उच्च न्यायालय नैनीताल ने भूराजस्व विभाग को जो आदेश दिया है उसमें कहा गया है कि सभी भूमि आवंटन के मामलों की जांच कर तीन माह में रिपोर्ट देने और अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया जाए और छह सप्ताह के अंदर वहां से हटाया जाए।
इस आदेश से पहले जून 2018 मेें उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा राजधानी दून के अतिक्रमण को चार सप्ताह में हटाने के निर्देश दिये गये थे जिस पर शासन प्रशासन द्वारा अब तक सिर्फ औपचारिक कार्रवाई करते हुए मुख्य सडकों से ही अवैध अतिक्रमण हटाया जा सका है। भले ही अतिक्रमण हटाओ अभियान में इन बस्तियों को राहत मिल रही हो लेकिन अब नदियों किनारे भूमि आवंटन और पट्टों को रद्द किये जाने के निर्णय से एक बार फिर इन पर कार्रवाई किये जाने का रास्ता साफ हो गया है।