हिन्दू-बौद्ध अनुयायियों ने एक साथ मनाया मकर संक्रान्ति पर्व

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ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में स्नान, दान, ध्यान, यज्ञ एवं गंगा तट की स्वच्छता के साथ विदेशी सैलानियों एवं लद्दाख से आए बौद्ध धर्म गुरू लामा, अनुयायी युवा भिक्षुनियां ने ऋषिकुमारों के साथ मकर संक्रांति पर्व को उल्लास के साथ मनाया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज एवं साध्वी भगवती सरस्वती के सानिध्य में मकर संक्रान्ति का पर्व को परमार्थ में आए अनुयायियों ने मनाया। इस मौके पर चिदानन्द सरस्वती ने मकर संक्रान्ति के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि परम्परा के अनुसार पौष माह में सूर्य मकर राशी में प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है। यह अनेक बदलावों और संकेतों को जन्म देता है। मकर संक्रान्ति अर्थात अन्धकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना। हमारे जीवन में भी जो अज्ञान रूपी अन्धकार है; प्रकृति में प्रदूषण रूपी जो अन्धकार है उसे समाप्त कर प्रकाश की ओर; सकारात्मकता की ओर; स्वच्छता की ओर अग्रसर होना ही संक्रान्ति है।

स्वामी ने कहा कि, “आज गंगा के तट पर हम देश की दो महान संस्कृतियों के संगम को देख रहे है यह मिलाप समरसता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। मिलना और भीतर के मैल को मिटा देना ही मकर संक्रान्ति है। आज हर हृदय में मिलन का सूर्य उदय हो; स्नान, ध्यान, दान और सबका करे सम्मान यही है मकर संक्रान्ति पर आहृवान।”

लद्दाख और परमार्थ निकेतन मिलकर स्वच्छता, शिक्षा, योग, ध्यान एवं शान्ति के लिए मिलकर कार्य करेंगे, इससे दो संस्कृतियों के आदन-प्रदान के साथ युवा पीढ़ियों में सहयोग एवं समरसता के गुणों का भी उद्भव होगा।

इस मौके पर सनातन धर्म और बौद्ध धर्म के अनुयायी जिसमें हिन्दू धर्म के ऋषिकुमारों एवं बौद्ध धर्म की युवा भिक्षुनियों ने मिलकर मां गंगा के तट पर विश्व शन्ति के लिए प्रार्थना की और स्वामी की प्रेरणा से इन नन्हीं-नन्हीं बौद्ध कन्याओं ने पौधा रोपण कर पर्यावरण को समर्पित हरित मकर संक्रान्ति मनायी।

लद्दाख से आयी बौद्ध युवा भिक्षुनियां ने परमार्थ निकेतन में जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती से गीता, भारतीय आध्यात्म एवं जीवन मूल्यों के विषय में मार्गदर्शन प्राप्त कर रही है। इस मौके पर स्वामी महाराज एवं साध्वी के सानिध्य में मां गंगा के तट पर नदियों की स्वच्छता के संकल्प के साथ बौद्ध धर्मगुरू लामा, युवा बौद्ध भिक्षुनियों एवं ऋषिकुमारों ने मिलकर विश्व ग्लोब (वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी) का जलाभिषेक किया।