काफी जद्दोजहद के बीच आखिरकार कांग्रेस ने शनिवार देर रात 53 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। पार्टी शुरू से बोलती रही है कि उसने लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवार तय कर लिए हैं। सिर्फ तीन-चार सीटों पर ही निर्णय नहीं हो पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने संसदीय कार्य समिति की बैठक से बाहर आने के बाद भी इस बात को दोहराया था, लेकिन ऐसा है नहीं। कांग्रेस को इन 53 नामों को तय करने के लिए भी काफी मशक्कत करना पड़ा है।
कांग्रेस डोईवाला, टिहरी, लैंसडाउन और नरेंद्रनगर जैसे महत्वपूर्ण सीट पर अपने उम्मीदवार अभी तय नहीं कर पायी है। यहां तक की मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार हरीश रावत की सीट भी पार्टी ने अभी तय नहीं की। बयानों में अपने को मजबूत दिखा रही कांग्रेस हरक सिंह रावत को लेकर भी अभी अधेरबून में हैं।
इसका कारण यह है कि डोईवाला और लैंसडाउन सीट पर उम्मीदवार तय नहीं करना। इतना तो तय है कि डोईवाला सीट पर कांग्रेस अपने पुराने एवं वरिष्ठ नेता हीरा सिंह को यहां से नहीं उतार रही क्योंकि उन्हें देहरादून के रायपुर से उम्मीदवार बनाया गया है, जबकि हीरा सिंह बिष्ट डोईवाला से ही चुनाव लड़ते रहे हैं।
उनकी सीट बदलने का कारण हरक सिंह फैक्टर बताया जा रहा है। दरअसल, हरीश नहीं चाहते कि हरक सिंह चुनाव लड़ें जबकि प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल चाहते हैं कि वे चुनाव लड़ें। इसके पीछे उनका अपना स्वार्थ भी है। हरक सिंह रावत की श्रीनगर सीट पर भी अच्छी पकड़ है। 2017 के चुनाव में उनकी हार का एक कारण यह भी था कि तब हरक भाजपा में थे।
इसलिए गणेश गोदियाल अपनी श्रीनगर सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए हरक सिंह को लैंसडाउन से चुनाव लड़ना चाहते हैं, जबकि हरक की बहु अनुकृति खुद वहां से चुनाव लड़ना चाहती हैं। दूसरा, हरक सिंह कांग्रेस में आने के बाद फिर से पार्टी पर दो सीट के लिए दबाव बनाने लगे हैं। एक खुद के लिए और दूसरी अपनी बहु अनुकृति के लिए। इसमें उनका साथ गणेश गोदियाल और प्रतिपक्ष के नेता प्रीतम सिंह भी दे रहे हैं।
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल होने के लिए भले ही चुनाव नहीं लड़ने की हरीश रावत की शर्त को स्वीकार कर लिया हो लेकिन वे अभी भी पार्टी के अंदर अपने समर्थक नेताओं के जरिये टिकट के लिए तिकड़म भिड़ाये हुए हैं।