होलाष्टक 14 मार्च से, शुभ कार्य पर मनाही

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हरिद्वार,  होली का पर्व 21 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन से पूर्व होलाष्टक और खरमास की शुरुआत 13 मार्च की रात्रि 11 बजकर 38 मिनट से अष्टमी तिथि के आरम्भ के साथ होगी। इस कारण होलाष्टक 13 मार्च के स्थान पर 14 मार्च से आरम्भ होंगे।

पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक, “अष्टमी तिथि 14 मार्च को सूर्य उदय के समय होगी। इस कारण 14 मार्च से ही होलाष्टक आरम्भ माने जाएंगे। होलाष्टक 14 मार्च से आरम्भ होकर 20 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त होंगे। इसी दौरान खरमास भी आरम्भ होगा।”

15 मार्च से सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा और 14 अप्रैल मीन राशि में रहेगा। इस कारण 15 मार्च से खरमास भी प्रारम्भ हो जाएगा। खरमास शुरू हो जाने के कारण इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य वर्जित होंगे।

शुक्ल के मुताबिक, “होलाष्टक के दौरान किसी भी शुभ कार्य को न करने के पीछे कारण है कि इस दौरान सभी ग्रहों का व्यवहार उग्र हो जाता है। प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इस वजह से सभी शुभ कार्यों को करने की शास्त्रों में मनाही की गई है।”

मान्यता है कि, “होलाष्टक के प्रारम्भ के दिन फाल्गुन शुक्लपक्ष अष्टमी को ही भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप ने बंदी बनाया था। होलिका ने भी अपने भाई की बात रखने के लिए इसी दिन प्रह्लाद को जलाने की तैयारी शुरू की थी और होलिका दहन के दिन प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना को पूर्ण करने के लिए होलिका चिता पर प्रह्लाद को लेकर बैठी थी। “वहीं भगवान शिव ने इसी दिन कामदेव को भस्म कर दिया था।

इस वजह से प्रकृति में नीरसता बढ़ गयी थी और सभी ने शुभ कार्य करना बंद कर दिया था। होली के दिन ही कामदेव को वापस जीवित होने का वरदान मिला। इसके बाद फिर से सब सामान्य हो गया। शुक्ल ने बताया कि इसीलिए होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों की शास्त्रों में मनाही है। होलिका दहन के बाद शुभ कार्य किए जा सकते हैं।