ट्रैवलर, फ़ोटोग्राफ़र, बाइकर और होटल व्यवसायी विनोद वर्मा ने अपने ट्रैवल राइटर साथी शैलजा सूद दासगुप्ता के साथ मिलकर शहर का जीवन छोड़कर होंम स्टे ऑफ इंडिया को कामयाब बनाने में अपना सारा समय लगा दिया है।गौैरतलब है कि इससे पहले शैलजा गूग्ल और मैकिन्से जैसे कॉरपोरेट घरानों के लिए काम कर चुकी हैं।
दरअसल होमस्टे ऑफ इंडिया एक ऐसा पोर्टल है जिसपर देशभर के चुनिंदा होम स्टेस को जगह दी जाती हैै। इसके लिये समाज के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले लोग अपने समय में से कुछ समय निकालकर होमस्टे ऑफ इंडिया के लिये काम करते हैं।
ये प्लैटफ़ॉर्म न केवल उत्तराखंड बल्कि देशभर को होमस्टेस के मूल्यांकन का एक बेहतरीन विकल्प बन रहा है। इसके बारे में बताते हुए विनोद कहते हैं कि “इस पोर्टल का मक़सद है देशभर के पर्यटकों को ऑथेंटिक होमस्टे का एहसास देने के साथ-साथ उस इलाक़े में रोज़गार और कमाई के साधन विकसित करना। इसके अलावा हम स्थानीय उत्पादों और अर्थव्यवस्था को विकसित करने पर भी फ़ोकस कर रहे हैं।”
इस पोर्टल को अमली जामा पहनाने के लिये इन दोनों ने कड़ी मेहनत की। इसके लिये वो खुद देशभर में घूमकर सैंकड़ों होमस्टेस का डाटा तैयार किया और इसे समझा ।
http://www.homestaysofindia.com की शुरुआत पाँच होमस्टेस के साथ हुई थी। कुछ ही समय में इस मंच पर देशभर के 20 राज्यों में 85 होमस्टेस का डाटा है आ चुका है।
उत्तराखंड के अल्मोडा, नैनीताल, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी से क़रीब 15 होमस्टे इस पोर्टल पर पंजीकृत हैं। इस पोर्टल का मक़सद पलायन की चुनौती से भी निपटना है और इसी लिये होमस्टेस ऑफ इंडिया की टीम स्थानीय समुदाय के साथ क़रीब से काम करती है। ये टीम लोगों को अपने आशियानों को देश विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिये ज़्यादा से ज़्यादा आरामदेह बनाने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। अपने इन्हीं प्रयासों के लिये होमस्टेस ऑफ इंडिया को नेशनल बिज़नेस लीडरशिप अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।
इस मॉडल को घरों से आगे वेदान्त के मक़सद से ये टीम अल्मोडा में एक पूरे गाँव को हेरिटेज होमस्टे विलेज बनाने के प्रॉजेक्ट पर भी काम कर रही है।
फ़िलहाल इस टीम का मक़सद है देश का सबसे बड़ा होमस्टे नेटवर्क बनने का। इसके लिये वो पर्यटकों के लिये सही और पूरी जानकारी के साथ होमस्टे संचालकों को भी बेहतर सुविधाओं मुहैया करना के लिये लगातार प्रेरित कर रहे हैं।