पहाड़ों को प्रदूषण से बचाने के लिये मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी के छात्रों ने कमर कस ली है। इसके लिये इन छात्रों ने संस्थान में बकायदा एक हस्ताक्षर अभियान चलाकर कई एमएनसी और बड़ी कंपनियों के सीईओ को ज्ञापन दिया है।
छात्रों द्वारा की गई स्टडी में पहाड़ों को प्रधूषण से होने वाले नुकसान की जड़ में उन कंपनियाों को पाया गया है जो पॉलिथीन में खाने आदि के सामानों की अधिक से अधिक पैकिंग करती हैं। ट्रेनी अधिकारियों के एक दल ने मसूरी को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने के लिये कुछ खास मांगे रखी हैं। आईएएस और रॉयल भूटानी सिविल सेवा के 181 प्रोबेशनर्स ने कंपनियों के सीईओ को कुछ बातें लिखी है जिसमें
- इंस्टेंट नूडल निर्माताओं जैसे कि मैगी, टॉप रामन, यिप्पी और पतंजलि को नूडल्स (अधिमानतः 10/20 किग्रा पैकेट में)को वितरित करने के लिए थोक में रिसाइकिल (दोबारा उपयोग करने योग्य) पैकेज करना।
- कूड़े को कम करने के प्रयास में उन्होंने इन पैकेट्स को ढाबा, स्टॉलों, भोजनालयों या पहाड़ी क्षेत्रों में मौजूद सभी मैगी पॉइंट्स पर उपलब्ध कराने की मांग की है जिससे यह सड़क के किनारे बसे कचरे को कम कर सकें।
- न केवल थोक पैकेजिंग पर विचार करें बल्कि बायो डिग्रेडेबल पैकेजिंग के बारे में भी सोचे जो उन्हें लगता है कि पहाड़ियों को हरा-भरा और प्लास्टिक-कूड़ा मुक्त रखने में काफी लंबा रास्ता तय करेगी।
इस गंभीर मुद्दे पर कुछ करने के लिए और पहाड़ की सुंदरता को बचाने के लिये अकादमी के भीतर एक सक्रिय हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया, इस अध्यन औऱ हस्ताक्षर अभियान की मांगों को अन्य कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों से भी साझा किया जायेगा।
हो सकता है कि इनमे से ही कोई अधिकारी चार्ज लेने के बाद इन मांगों पर और सख्ती से अमल करे। बहरहाल समय की मांग ये है कि इन भावी अधिकारियों के साथ-साथ सरकार भी पहाड़ों में हो रहे बेतरतीब प्रदूषण को रोकने के लिये ठोस कदम उठाये। नहीं तो वो समय दूर नहीं जब राज्य पुष्प ब्रह्म कमल से सराबोर रहने वाले उत्तराखंड के पहाड़ों पर दूर-दूर तक प्लास्टिक और प्रदूषण ही दिखाई देगा।