मिलकर चिंतन करें तो इसके मिल सकते हैं अच्छे परिणाम : मुख्यमंत्री

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ऋषिकेश,  मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हिमालयी राज्यों की भौगोलिक संरचना लगभग समान है। हिमालयी राज्यों के समूह आपस में मिलकर चिंतन करते हैं तो इसके विलक्षण परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। मुख्यमंत्री गुरुवार को परमार्थ निकेतन में हिमालयी राज्यों में ‘सामाजिक और आर्थिक रूपांतरण’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां पर विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागी अपने अनुभव को बांटेगे, उनके द्वारा किये गये प्रयोगों और उसके परिणामों के विषय में चर्चा करेंगे। इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब सामूहिक सोच विकसित होती है तो विकास का सकारात्मक परिदृश्य प्राप्त होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी हिमालयी राज्यों को केन्द्र सरकार से एक अच्छा बजट प्राप्त हो रहा है। जैविक खेती के लिये भी बजट प्राप्त हो रहा है और यह निश्चित रूप से सुखद परिणाम लेकर आयेगा।
उन्होंने कहा कि हम सभी जो भी यहां पर उपस्थित है उनके पास कुछ न कुछ हिस्सा हिमालय का है और हम सभी का कार्य भी विकास का कार्य है। हम कार्यशालाओं के माध्यम से जो भी ग्रहण करते हैं उस अनुभव को अपने क्षेत्र में जाकर विकास कार्यों में लगाएं। हमारे बीच में कई ऐसे लोग हैं जिनके कार्यों से दूसरे लोगों की सोच और चिंतन में भी परिवर्तन हुआ है जिससे उस क्षेत्र का पूरा मानचित्र बदल जाता है बस यही काम हम सभी को यहां से जाकर करना है।
इस मौके पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पांच हिमालयी राज्यों से आये प्रतिभागियों, उच्चाधिकारियों और अधिकारियों का उत्तराखण्ड की धरती पर अभिनन्दन करते हुये कहा कि हम सभी हिमालयवासी यह न समझें कि हम हैं तो हिमालय है बल्कि वास्तविकता तो यह है कि हिमालय है तो हम हैं, हिमालय है तो गंगा है, हिमालय है तो हम सब हैं।
दूसरे तकनीकी सत्र में ‘‘हिमालयी राज्यों में जन योजना अभियान के माध्यम से विस्तृत जीपीडीपी प्राप्त करना’’ विषय पर चर्चा की गई। इसमें डा.बाला प्रसाद, विशेष सचिव (से.नि.), पंचायत राज मंत्रालय भारत सरकार, आलोक प्रेम नागर, संयुक्त सचिव पंचायत राज मंत्रालय, भारत सरकार, डा. राजीव बंसल, एसआईआरडी, हिमाचल प्रदेश द्वारा प्रतिभाग किया । साथ ही जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड के सरपंचों व प्रधानों द्वारा अपने अनुभव साझा किए गये।तीसरा तकनीकी सत्र ‘‘जीपीडीपी के साथ विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों का संमिलन (कन्वर्जेंस)’’ विषय पर आयोजित किया गया।