विद्यालय में बिजली नहीं है, इसके बाद भी बच्चों को सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आइसीटी) के माध्यम से शिक्षा मिल रही है। बच्चों को मोबाइल प्रोजेक्टर और थ्री-डी मोबाइल स्क्रीन से पढ़ाया जा रहा है। बिजली विहीन राजकीय प्राथमिक विद्यालय खड़कूभल्या गांव, पिथौरागढ़ में यह सब प्रभारी प्रधानाध्यापक कर रहे हैं।
पिथौरागढ़ तहसील के रामगंगा नदी घाटी के दूरस्थ राप्रावि खड़कूभल्या के प्रभारी प्रधानाध्यापक नेत्र सिंह कोरंगा अपने निजी संसाधनों से विद्यालय में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। विद्यालय में बिजली उपलब्ध नहीं होने के बावजूद भी पठन-पाठन को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। कोरंगा द्वारा विद्यालय में मोबाइल प्रोजेक्टर तैयार किया है। मोबाइल को प्रोजेक्टर के अंदर रखकर व ब्लूटूथ स्पीकर को मोबाइल साउंड सिस्टम से जोड़कर प्रत्येक संबोध को दीवार में बड़े साइज में दिखाया जा रहा है। इसी प्रकार थ्री-डी मोबाइल स्क्रीन भी बनाई गई है। जिसमें पिक्चर को तीन गुना बड़े साइज में दिखाया जा रहा है। ब्लूटूथ स्पीकर व ऑडियो किट को स्मार्टफोन से जोड़कर विभिन्न गतिविधियों को आसान व सरल माध्यम से संचालित किया जा रहा है।
आइसीटी के माध्यम से सामाजिक विषय, अंग्रेजी भाषा, गणित को आसान व सरल ढंग से विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा स्मार्टफोन में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए मोबाइल प्रोजेक्टर व थ्री-डी स्क्रीन के माध्यम से बच्चों को डांस, संगीत व स्वच्छता संबंधी आवश्यक जानकारी दी जा रही है। इस नवाचारी विधि से बच्चे खेल-खेल में बहुत अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कमजोर बच्चों को विषय आसानी से समझ आ रहे हैं। प्रधानाध्यापक कोरंगा ने बताया कि विद्यालय में बिजली उपलब्ध नहीं है। इसलिए वह घर से ही सभी सिस्टम चार्ज करके विद्यालय ले जाते हैं। उनका मानना है कि इस प्रकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सरकारी विद्यालयों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा।
शिक्षक कोरंगा आइसीटी में विण ब्लॉक के मास्टर ट्रेनर रह चुके हैं। उन्होंने डायट डीडीहाट में आयोजित कार्यशाला में आइसीटी का सफलतापूर्वक प्रयोग कर साबित कर दिया कि बिना बिजली के भी आइसीटी का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है।