मिलीभगत से पनप रहा अवैध खनन का गोरख धंधा

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बागेश्वर- नदियों में अवैध रेता बजरी का धंधा जोर-शोर के साथ चल रहा है। सभी के संरक्षण से यह अवैध खनन खूब फल-फूल रहा है। इससे स्थानीय आवासीय घरों और कृषि भूमि पर खतरा मंडराने लगा है। लोगों ने जिलाधिकारी से अवैध खनन पर रोक लगाने की गुहार लगाई है।

सरयू, गोमती, गरुड़ गंगा, लाहूर समेत दर्जनों गाड़-गधेरों में अवैध रूप से रेता बजरी का दोहन हो रहा है। वन विभाग ने रेता-बजरी निकालने के लिए अभी तक कोई मानक तय नहीं किए हैं। नदी के किसी भी छोर से रेता निकाली जा सकती है। कुछ लोग तो वन विभाग से संपर्क साधकर ही बजरी का दोहन कर रहे हैं, लेकिन बिलौना, हरसीला, सीमार, रूनीखेत, आरे आदि स्थानों पर अवैध रेता बजरी का खनन हो रहा है। चोरी छिपे बजरी निकालने से स्थानीय घरों पर खतरा मंडराने लगा है। नदी की गहराई बढ़ने से कई स्थानों पर पानी का रूख भी बदल गया है। जिससे प्रतिवर्ष हजारों नाली कृषि भूमि बह रही है। पूर्व प्रधान दान ¨सह, करम ¨सह, तेज ¨सह रावत तथा बहादुर ¨सह आदि का कहना है कि वन विभाग और बजरी के धंधे में लिप्त लोगों में सांठगांठ है। आम आदमी जिसे मकान आदि का निर्माण करना है, उसे विभाग परेशान करता है। रेता निकालने की अनुमति मिलने में महीने बीत रहे हैं। नेपाल से आए मजदूर दिनदहाड़े नदियों में छलनी करने में तुले हैं।