देहरादून। राजधानी में सरकार की नाक के नीचे धड़ल्ले से अवैध खनन चल रहा है। पुलिस और प्रशासन इस ओर आंखें मूंदे बैठे है। मजेदार बात यह है कि रिस्पना नदी पर यह खनन पुलिस कालोनी से मात्र चंद कदमों की दूरी पर हो रहा है। शिकायत के बाद खनन विभाग खानापूर्ति तक ही सीमित है। सूत्रों की माने तो विभाग और पुलिस या प्रशासन के अधिकारियों की शय के बिना ये अवैध खनन संभव नहीं है। इससे पहले भी खनन विभाग पर मिलीभगत के आरोप लगते रहे है।
एक ओर मुख्यमंत्री रिस्पना को ऋषिपर्णा बनाने की कवायद में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर बेलगाम खनन माफिया रिस्पना नदी में खुले आम अवैध खनन कर रहे है। ताजा मामला कंडोली व चिड़ोवाली इलाके का है जहां दिन रात नदी से निमार्ण सामग्री निकालकर ट्रेक्टरों के माध्यम से सप्लाई की जा रही है। इसके लिए बाकायदा एक प्लाट का पुश्ता तोड़कर रास्ता बनाया गया है। यही नहीं खनन माफियाओं ने पूरे प्लाट में खनन सामग्री जमा भी की हुई है। यह काम दिनरात पिछले कई दिनों से जारी है।
शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
सरकार ने 30 जून से सभी नदियों से खनन पर रोक लगा रखी थी। ऐसा हर साल बरसात के दौरान किया जाता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। मंगलवार को जब कुछ स्थानीय निवासियों से इस अवैध खनन की जानकारी उत्तराखंड क्रांति दल के महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री को मिली तो उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी सहित एसडीएम सदर व एसपी सिटी को फोन कर पूरा मामला बताया। उन्होंने मौके पर पहुंचकर ट्रेक्टर ट्राली सहित खनन कर रहे कुछ लोगों को वहां रोक लिया, लेकिन तीन घंटे तक भी खनन विभाग का कोई कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा। इस बात का फायदा उठाकर खनन माफिया मौके से फरार हो गए। संजय क्षेत्री का अरोप है कि विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते उन्हें जानकारी देकर भगाया गया। उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत करेंगे। वहीं खनन विभाग का कहना है कि शिकायत के बाद कर्मचारी मौके पर गए थे वहां कोई नहीं मिला। खली प्लाट में पड़े खनिज को सील कर दिया गया है। मामले में खनन विभाग के उपनिदेशक डॉ. दीपक हटवाल का कहना है कि शिकायत के बाद कर्मचारी मौके पर गए थे। आसपास लोगों से जानकारी की गई लेकिन वहां कोई नहीं मिला। एक खाली प्लाट पर पड़ी भवन निर्माण सामग्री को सील कर दिया गया है। जांच के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।