पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने से उत्तराखंड को मिलेगा नवजीवन

0
2386
उत्तराखंड

उत्तराखंड में पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने का फैसला देर से किया गया एक सही फैसला है। हालांकि कहा जा सकता है कि इसका निर्णय तो सालों पहले कर लिया गया था, लेकिन राज्य प्रशासन द्वारा इस बाबत शासनादेश जारी नहीं होने की वजह से ये फैसला सालों से लंबित पड़ा था, जिसे अब त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने पूरी तरह से लागू कर दिया गया है।

उत्तराखंड प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण एक अनूठा राज्य है, जहां पर्यटन क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। जिस तरह कश्मीर को सैलानियों का स्वर्ग कहा जाता है, वैसी ही स्थिति उत्तराखंड के अधिकांश स्थानों की है। यही कारण है कि ये बात हमेशा ही कही जाती रही है कि अगर यहां पर्यटन सुविधाओं ढंग से उपलब्ध करायी जाएं तो इस राज्य को अपनी जरूरत का पूरा राजस्व सिर्फ इसी एक तरीके से मिल जायेगा। दरअसल, उत्तराखंड में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिए जाने का फैसला 2004 में ही लिया गया था, लेकिन उसके बाद कोई भी सरकार इस दिशा में कभी इतनी गंभीर नहीं हो सकी कि इस बाबत शासनादेश जारी कर इस फैसले को लागू करा सके।

उत्तराखंड अरसे से सैलानियों को लुभाता रहा है और हर साल बड़ी मात्रा में सैलानी उत्तराखंड के दर्शनीय स्थानों पर पहुंचते हैं। यहां की एक बड़ी विशेषता प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही धार्मिक महत्व के स्थानों की भरमार भी है। उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा का हिन्दू धर्म में काफी बड़ा धार्मिक महत्व है। हर साल हजारों की संख्या में लोग चार धाम की यात्रा करते हैं। केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, गोमुख, हरिद्वार, ऋषिकेश, हेमकुंड साहिब जैसे स्थान पर सालों भर लोग धार्मिक यात्रा के लिए पहुंचते रहते हैं। इसी तरह मसूरी, चोपटा, अल्मोड़ा, नैनीताल, धनौल्टी, लैंसडाउन, वैली ऑफ फ्लॉवर और सत्तल जैसे हिल स्टेशन भी सैलानियों को लुभाते हैं। लेकिन अभी तक यहां पर्यटन को प्रोत्साहित करने को लेकर सरकार ने कुछ भी खास नीति नहीं बनायी थी। इसलिए पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने वालों को कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिल पाती थी।

अब राज्य में पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने के बाद पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने वालों को सरकारी सहायता भी मिल सकेगी। इन लोगों को सूक्ष्म, लघु या मंझोले उद्योगों के लिए बनायी गयी नीति के तहत वे सारी सुविधाएं मिल सकेंगी, जो अभी तक औद्योगिक प्रतिष्ठानों को मिलती रही हैं। इसके साथ ही पर्यटन उद्योग में निवेश करने वालों को प्रोत्साहन सब्सिडी के रूप में बैंक के ब्याज में भी छूट मिल सकेगी। अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रुप से पर्यटन के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां उत्तराखंड में निवेश करने के प्रति आकर्षित होंगी, जिससे राज्य में न केवल निवेश बढ़ेगा, बल्कि रोजगार के भी नए अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।

राज्य में पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने लगातार पर्यटन से जुड़े तमाम एसोसिएशन, संस्थाओं आदि से विचार-विमर्श करने के बाद शासनादेश जारी किया है। सरकार ने होटल एसोसिएशन के साथ ही धार्मिक स्थलों की व्यवस्था देखने वाली संस्थाओं तथा स्थानीय कारोबारियों की राय भी ली है, ताकि पर्यटन के विस्तार की संभावनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सके। इस शासनादेश द्वारा अब पर्यटन से जुड़े तमाम क्षेत्रों मसलन बंपी जंपिंग, जॉय राइडिंग, कैंपिंग, सर्फिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग तथा रिसॉर्ट्स, आयुर्वेद, पंचकर्म आदि को सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्योग नीति (एमएसएमई) के तहत दी जाने वाली सुविधाएं मिल सकेंगी। इसके साथ ही शासनादेश में कायकिंग, होटल इंडस्ट्री, सी-प्लेन इंडस्ट्री समेत 22 गतिविधियों को मेगा इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्रियल पॉलिसी के तहत शामिल किया गया है। उत्तराखंड में इन तमाम गतिविधियों की पर्यटन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं और इन तमाम क्षेत्रों में पर्यटकों को काफी संख्या में आकर्षित किया जा सकता है।

उत्तराखंड में पर्यटन की इतनी संभावनाएं हैं कि अगर ढंग से इस क्षेत्र पर ध्यान दिया जाए तो राज्य की आय और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत भी पर्यटन बन सकता है। ऐसा कहना इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि राज्य की एक बड़ी परेशानी रोजगार की तलाश में लोगों का गांवों से पलायन करना भी है। गांव से लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं और शहरों से लोग महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरुप उत्तराखंड में एक बड़ी समस्या वहां के आबादी विहीन गांव की बन गए हैं। राज्य में ऐसे गांवों की संख्या काफी अधिक है, जहां अब सिर्फ लोगों के घर बचे हैं, रहने वाले सभी लोग वहां से जा चुके हैं। सीमावर्ती राज्य होने की वजह से सुरक्षा के लिहाज से भी यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जा सकती।

यहां पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने पर यदि रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी तो स्वाभाविक रूप से लोगों का पलायन रुकेगा। सबसे अच्छी बात तो ये है कि उत्तराखंड के कोने-कोने में पर्यटकों को लुभाने वाले स्थान मौजूद हैं। अगर उत्तराखंड पर्यटन विभाग यहां की पर्यटन संभावनाओं को ढंग से प्रचारित कर सके, तो राज्य के हर कोने तक पर्यटकों को लाया जा सकता है। ऐसा होने से यह स्थानीय लोगों के रोजगार के साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक असर डालेगा।

उत्तराखंड में जिस तरह से पर्यटन को उद्योग का दर्जा देकर इसके लिए गंभीरतापूर्वक काम करना शुरू किया है, वैसी ही जरूरत देश के अन्य राज्यों में भी पर्यटन को बढ़ावा देने की है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पर्यटन के क्षेत्र में इतनी संभावनाएं हैं कि वह पर्यटन के क्षेत्र से ही अपनी जीडीपी का 13 से 18 फीसदी तक आय अर्जित कर सकता है। जबकि अभी भारत पर्यटन से एक फीसदी से भी कम आय अर्जित कर पाता है। इसलिए जरूरत इस बात की है की तमाम बातों के साथ ही पर्यटन पर भी राज्यों की तमाम सरकारें विशेष ध्यान दें और इसे अपनी आय का एक प्रमुख स्रोत बनाएं।