देव भूमि उत्तराखंड में तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि से पवित्र केदारनाथ धाम के खजाने में इस वर्ष अब तक 13 करोड़ रुपये से अधिक राशि आयी है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यहां बताया कि पिछले वर्ष 2018 में इसी अवधि में बाबा के खजाने की आमदनी केवल 11 करोड़ रुपये थी। सूत्रों ने बताया कि तीर्थ यात्रियों की संख्या में इजाफा के कारण ही बाबा के खजाने की आमदनी में यह वृद्धि हुई है ।
खजाने की आमदनी में वृद्धि की आशा व्यक्त करते हुए अधिकारियों ने बताया कि मंदिर का कपाट डेढ़ माह और खुला रहेगा जिससे आमदनी में और अधिक होने के आसार हैं । सूत्रों के अनुसार केदारनाथ धाम में तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं में हुई वृद्धि और धार्मिक पर्यटन के प्रचार प्रसार के कारण तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। मंदिर के खजाने की आमदनी में वृद्धि से मंदिर के सौन्दर्यीकरण के काम में निधि की कमी नहीं होगी। नए अतिथि गृह के निर्माण के साथ-साथ मंदिर से जुड़े कर्मियों को वेतन भी समय से मिल सकेगा।
इस वर्ष केदारनाथ धाम यात्रा के सभी रिकॉर्ड टूट गए । इस वर्ष यात्रा प्रारम्भ होने के डेढ़ महीने में ही 735032 यात्रियों ने बाबा के दर्शन किये जबकि पिछले वर्ष यहाँ कुल 732241 तीर्थयात्रियों का आना हुआ था । आपदा के बाद केदारनाथ धाम में वर्ष 2014 में महज 40832 यात्री ही दर्शन के लिए पहुंचे। धीरे-धीरे इस धाम के विकास के साथ ही यात्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने लगी और वर्ष 2015 में 1,54430 यात्री आये। केदारनाथ धाम के नये स्वरूप में विकसित होने के साथ ही वर्ष 2016 में 3,95033 यात्रियों के आने से यहां की यात्रा पटरी पर लौट आई और यात्रियों की संख्या में उत्तरोत्तर इजाफा होने लगा ।
वर्ष 2017 में 4,71235 यात्रियों ने केदारनाथ के दर्शन किए और 2018 में यह संख्या बढ़कर 7,32,241 हो गई । वर्ष 2013 में आई आपदा से पहले स्थितियां भिन्न थीं और 1988 से लेकर 1999 तक प्रति वर्ष लगभग एक से डेढ़ लाख यात्री ही केदारनाथ धाम पहुंचते थे। वर्ष 2000 से लेकर 2005 तक यह संख्या बढ़कर प्रतिवर्ष लगभग ढाई से 3 लाख हुई। वर्ष 2006 से यात्रियों की संख्या बढ़ती हुई वर्ष 2012 में भीषण हिमपात के बावजूद लगभग 5 लाख 73 हजार पहुँच गई थी जो वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा से पूरी तरह ठप्प हो गई थी। इस बीच रुद्रप्रयाग के ज़िलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल तथा पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने यात्रियों की बढ़ती संख्या पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सम्बंधित अधिकारियों को तीर्थ यात्रियों की संख्या में और इजाफा के लिए बेहतर तैयारी तथा पुख्ता प्रबंध करने का निर्देश दिया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा के बाद तीर्थ यात्रियों की संख्या में भारी कमी की के कारण मंदिर की आय लगभग शून्य पर आ गई थी लेकिन बाद में सरकार के कठिन प्रयासों से यात्रीयों का आना पुनः शुरू हो गया ।