प्राइवेट अस्पताल से नाराज नेता प्रतिपक्ष, सात घंटे बाद सिनर्जी में हुई भर्ती

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कोरेाना के इलाज के लिये आम लोगों को ही नही खास लोगों को भी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। इलाज के लिए हल्द्वानी से देहरादून आईं नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश को दोपहर तीन बजे से रात करीब सवा दस बजे एक प्राइवेट अस्पताल, सरकारी कोठी और फिर सिनर्जी अस्पताल की दौड़भाग करनी पड़ी। इसके बाद कहीं जाकर उन्हें एडमिट होने को प्राइवेट रूम मिल पाया।

अस्पताल में चार घंटे के इंतजार के बावजूद अलग रूम की व्यवस्था न होने से नाराज इंदिरा ने दिल्ली जाने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक की पहल पर फिर उनके लिए आननफानन में रात करीब दस बजे सिनर्जी अस्प्ताल में सिंगल रूम का इंतजाम किया गया।

गौरतलब है कि दो दिन पहले सेहत खराब होने पर इंदिरा हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती हुईं थीं। इंदिरा की बीमारी की जानकारी मिलने पर सरकार ने उन्हें विशेष हेलीकॉप्टर से देहरादून बुलवाया गया। शनिवार दोपहर पौने तीन बजे हेलीकॉप्टर से इंदिरा देहरादून सहस्त्रधारा हेलीपैड पहुंची।

इंदिरा के तरफ से कहा जा रहा है कि वहां जांच के बाद जब इंदिरा ने अपने लिए अलग रूम मांगा तो अस्पताल प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए। जबकि इंदिरा से अलग रूम देने का वादा किया गया था। अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि यहां सिंगल रूम नहीं है। इंदिरा के साथ आए उनके पुत्र सुमित हृदयेश ने कहा कि उन्हें स्वच्छ टायलेट वाला सिंगल रूम ही चाहिए। उनके परिवार के अनुसार यह उनके स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।काफी देर तक इंतजार करने के बावजूद जब अलग रूम का इंतजाम न हुआ तो इंदिरा वहां से नाराज होकर अपने घर लौट आई।

इंदिरा हृदयेश ने कहा कि “मैं हल्द्वानी से उपचार के लिए देहरादून सरकार के आश्वासन पर ही आई थी। कहा गया था कि आपकी आयु और स्वास्थ्य संबंधी गंभीरता को देखते हुए अलग प्राइवेट रूम दिया जाएगा। पर, चार घंटे तक इंतजार कराने के बाद भी सरकार कोई व्यवस्था नहीं कर पाई। कई बार सरकारी प्रवक्ता, सीएम कार्यालय और डीएम ने अस्पताल वालों से भी बात की लेकिन कुछ नहीं हो पाया। इससे पता चलता है कि सरकार का इकबाल कितना बचा है।”

वहां से उन्होंने तत्काल ही दिल्ली के कुछ अस्पतालों में बातचीत की और एक प्रतिष्ठित अस्पताल में अपने लिए कमरा बुक करा लिया। इस बीच खबर लगने पर सरकारी मशीनरी के हाथ-पांव भी फूल गए। दरअसल, सरकार के आश्वासन पर ही इंदिरा दून आई थी और ऐसे में उनकी अपेक्षा के अनुसार अलग रूम का इंतजाम न होने से काफी किरकिरी होने का डर था।

सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने तुरंत जिला प्रशासन को दूसरे अस्पताल में इंतजाम करने के निर्देश दिए। रात पौने दस बजे सुमित के साथ कुछ लोगों सिनर्जी में अस्प्ताल की व्यवस्थाएं देखी। संतुष्ट होने पर रात सवा दस बजे वो वहां शिफ्ट हो गईं। देर रात तक इंदिरा को लेकर शासन प्रशासन में हलचल मची रही।

वहीं इस मामले पर मदन कौशिक ने कहा कि, “इंदिरा जी से मैँने ही देहरादून आकर उपचार कराने का अनुरोध किया था। विशेष हेलीकॉप्टर भी भेजा। वे उत्तराखंड की वरिष्ठतम नेता है। सभी उनका सम्मान करते हैं। प्राइवेट अस्पताल में वास्तव में कोरोना पेशेंट लिए सिंगल रूम की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने दो-दो लोगों के लिए रूम बनाए हुए हैँ। व्यवहारिक दिक्कत को देखते हुए रात को इंदिरा जी के लिए सिनर्जी अस्पताल में व्यवस्था कर दी गई है। मेरी उनसे बात हो चुकी है।  नाराजगी जैसी बात नहीं है।”