गलवान घाटी पर चीन की खूनी हरकत के बाद उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में सुरक्षा के लिहाज से भारतीय सैनिकों की हलचल बढ़ गई है। नेलांग घाटी पर चीन अधिकृत तिब्बत की अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है।
फिलहाल यहां पर किसी भी तरह की अशांति नहीं है। हालांकि चीन से सटी उत्तराखंड की 345 किलोमीटर सीमा हमेशा संवदेनशील रही है। इसमें से 122 किलोमीटर उत्तरकाशी जिले में है। सामरिक दृष्टि से संवेदनशील यह क्षेत्र जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 129 किलोमीटर दूर है। नेलांग घाटी में सेना और आइटीबीपी के जवान सतर्क हैं।
उत्तरकाशी जनपद में नेलांग सहित जाडुंग और सोनम घाटी में भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा है। 1962 के भारत- चीन युद्ध के निशान आज भी इस क्षेत्र में देखे जा सकते हैं। नेलांग जाने के लिए भैरवघाटी से 23 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। जादुंग, नेलांग से 16 किलोमीटर आगे है जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से नेलांग की दूरी 113 किलोमीटर और जादुंग की 129 किलोमीटर है। दोनों गांव समुद्रतल से 4000 मीटर की ऊंचाई पर नेलांग घाटी में हैं। वहीं, गलवान घाटी की स्थिति को देखते हुए सेना सहित आईटीबीपी और आईबी भी अलर्ट पर हैं। सीमा पर गश्त बढ़ा दी गई है। अग्रिम मोर्चे पर आईटीबीपी के जवान तैनात हैं।
गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद सीमा पर चौकसी तेज कर दी गई है। सैन्य सूत्रों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गश्त बढ़ा दी गई है। साथ ही सेना और आईटीबीपी के अधिकारी भी सीमा पर होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।