भारत नेपाल सीमा बनी वन्य जीवों की तस्करी का मुफीद इलाका

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भारत नेपाल सीमा वन्य जीवों के अंगों की तस्करी का सबसे मुफीद क्षेत्र बनता जा रहा है। जिसमें गुलदार (तेंदुए) की खालों और हड्डियों की सबसे अधिक तस्करी होती है। चीन में इनकी सर्वाधिक मांग है। भारत से नेपाल होते खाल और हड्डियां चीन तक, पिथौरागढ से पहुंचती हैं। वन्य जीव तस्करों के तिब्बत से नेपाल तक सूत्र जुड़े हैं। पुलिस और खुफिया एजेंसियों के हाथ मात्र वन्य जीव अंगों को लाने-ले जाने वाले कैरियर ही लगते हैं।

तेंदुए भारत में कुमाऊं के पहाड़ों में अधिक होते हैं। वन्य जीवों के अंगों के भारत और नेपाल में डंपिंग यार्ड बने हैं। इन डंपिंग यार्ड तक कैरियर ही तस्करी कर माल पहुंचाते हैं। जहां से काली नदी पार कर खाल और हड्डियां नेपाल के कैरियरों तक पहुंचाई जाती है। नेपाल में तस्करों तक यह सामान पहुंचता है, जहां से खाल और हड्डियां चीन पहुंचाई जाती हैं।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक भारत में गुलदार को मारने के लिए इस नेटवर्क के तहत धन मिलता है। अमूमन तस्करी के लिए मारे जाने वाले गुलदारों को बंदूक की गोलियों ने नहीं अपितु सुर्खा (कांटा) लगाकर मारा जाता है। जिससे खाल और हड्डियां सुरक्षित रहती हैं। गुलदार को मारने वाले और कैरियरों को इसके लिए बहुत अधिक रुपये नहीं मिलते हैं। खाल और हड्डियों के लिए तस्करों को चीन में मुंहमांगी रकम मिलती है। अभी तक पकड़े गए लोग कैरियर ही रहे हैं।

गुलदारों की मौत के आंकडों पर अगर विचार करें तो चौकाने वाले नतीजे सामने आयेंगे। जनवरी 2016 से अप्रैल 2017 तक जिले में 13 गुलदारों की मौत हुई है। वन विभाग के अनुसार मौत का कारण बीमारी और आपसी संघर्ष रहा। लंबे समय से गुलदारों की गणना नहीं होने से मारे गए गुलदारों की संख्या का कोई आंकड़ा विभाग के पास नहीं है।

जबकि पिथौरागढ़ के पुलिस अधीक्षक अजय जोशी का कहना है कि वन्य जीवों की तस्करी को रोकने के लिए पुलिस सक्रिय हो चुकी है। एसओजी टीम को सतर्क कर दिया गया है। भारत नेपाल सीमा से लगे थानों की पुलिस को इस पर नजर रखने के आदेश दे दिए गए हैं। नेपाल सीमा पर तैनात सुरक्षा बल एसएसबी के साथ समन्वय को अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है।