मलेरिया दवा क्लोरोक्विन और हाईड्रोक्लोरोक्विन से मोह भंग

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हाईड्रोक्लोरोक्विन

कोविड-19 के मरीज़ों के उपचार के लिए बहुप्रचारित मलेरिया दवा क्लोरोक्विन और हाईड्रोक्लोरोक्विन से ब्राज़ील और अमेरिकी चिकित्सकों का मोह भंग हो गया है। अमेरिकी संक्रामक रोग विशेषज्ञों का कथन है कि इन दवाओं कोविड-19 मरीज़ों  पर अपेक्षित लाभ होने की बजाए इसके नुक़सान ज़्यादा हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ दिनों से इन दवाओं को उपचार प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जा रहा है।

विदित हो,  ब्राज़ील में गत शनिवार को मॉनाउस पब्लिक अस्पताल में मलेरिया के लिए इन दवाओं का कोविड-१९ के दो दर्जन मरीज़ों पर परीक्षण किया था। इस स्टडी के उपरांत एक आन लाइन मेडरेक्षिव (medRxiv ) पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दवा का दो दर्जन मरीज़ों पर परीक्षण के जो परिणाम सामने आए हैं, वे निराशाजनक हैं।  मलेरिया की यह  क्लोरोक्विन दवा बतौर परीक्षण कुछ मरीज़ों पहले दिन 600-600  मिलिग्राम और फिर 600 मिलिग्राम तथा कुछ मरीज़ों को पहले दिन 450-450  मिलिग्राम फिर 450 मिलिग्राम  दवा दी गई थी। इसका मरीज़ों के ह्रदय पर कुप्रभाव पड़ने तथा तत्पश्चात कार्डियोग्राम कराने के बाद जो परिणाम सामने आए, वे अच्छे संकेत नहीं दे रहे थे। उन्हें कार्डियोग्राम से मरीज़ के ह्रदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम पर कुप्रभाव दिखाई देने लगा। इस उपचार में जिन मरीज़ों को बढ़ी हुई डोज़ 600 मिली ग्राम दी गई थी, उन  सभी छह मरीजों  को बचायानहीं जा सका।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से बहुप्रचारित इस दवा का अमेरिका के विभिन्न मेडिकल सेंटर और अस्पतालों में मरीज़ों पर उपयोग किया गया। मिशिगन में संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रो॰ डेनियल कोल ने कहा कि इन दवाओं के उपयोग करने से मरीज़ों के हार्ट दुष्प्रभाव सामने आया। उनके कार्डियोग्राम में इलेक्ट्रिकल पैट्रन में परिवर्तन  देखे गए। मैसाचुटेस जनरल अस्पताल के हारवर्ड मेडिकल स्कूल में प्रोफ़ेसर राजेश गांधी ने कहा है कि कोविड-१९ के लिए मलेरिया की ये दवाएँ उपयुक्त और पर्याप्त नहीं है। मेयो क्लीनिक के विशेषज्ञ प्रो॰एंड्रयू बेडले ने कहा है कि ब्राज़ील में ट्रायल के बाद कोई गुंजाइश नहीं बची है कि मलेरिया की इन दवाओं का उपयोग किया जा सके। यही कथन यूनिवर्सिटी आफ कैलिफ़ोर्निया (सान फ़्रांसिस्को) और यूनिवर्सिटी आफ वाशिंगटन के विशेषगों का भी यही मत है