काशीपुर में कोतवाल की अभद्रता पर वकीलों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। बार एसोसिएशन भवन में हुई बैठक में चेतावनी दी गयी कि यदि तीन दिन में कोतवाल माफी नहीं मांगती हैं तो उनके खिलाफ केस दर्ज कराया जाएगा। काशीपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, आनंद स्वरूप रस्तोगी की अध्यक्षता में एसोसिएशन की मंगलवार को बैठक हुई। इस दौरान रस्तोगी ने कहा कि वह एक जनप्रतिनिधि के साथ वकील भी हैं। वकील कामिनी नागर व उनके परिवार से मारपीट व अभद्रता करने वाले नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सोमवार को कोतवाल रचिता जुयाल से अधिवक्ता व अन्य लोग मिलने गए थे। उन्होंने बात सुनने के बजाय जनता व वकीलों से अभद्रता की। उन्होने कहा कि एक कोतवाल को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए था। इसकी घोर भर्त्सना की जाती है। वकीलों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि तीन दिन में कोतवाल ने माफी नहीं मांगी तो उनके खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए बाध्य होंगे। इस संबंध में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री, डीआइजी को पत्र भेजकर अवगत करा दिया गया है।
बार एसोसिएशन काशीपुर के अध्यक्ष आनंद स्वरूप रस्तोगी ने इस मामले में राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है।आरोप है कि कामिनी नागर 16 अप्रैल को कोतवाली में कोतवाल रचिता जुयाल से मिलने गई तो उन्हें अकेला बुलाया गया और उक्त रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए एक लाख रुपये रिश्वत मांगी गई। मना करने पर कामिनी को धमकाया गया कि दूसरे पक्ष की ओर से तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा देंगे। तुम्हें और तुम्हारे परिवार को झूठे केस में बंद करा देंगे। इससे डर कामिनी ने 17 अप्रैल को बार एसोसिएशन से मामले की शिकायत की जब इस मामले में उसी दिन कोतवाल से मिलने अधिवक्ता व अन्य लोग पहुंचे तो उन्होंने कामिनी, उनके साथ गई अनुराधा वर्मा, हेमा बंगारी, पूनम वर्मा,दीपा राय, राधा वर्मा आदि को धक्का देकर ऑफिस से बाहर निकाल दिया।
वहीं इस बारे में कोतवाल रचिता जुयाल ने बताया कि किसी के दवाब में आकर काम नहीं करती हूं। इसलिए लोग बेवजह आरोप लगा रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। रिश्वत मांगने का आरोप निराधार है।