पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान आईटीबीपी औली में बतौर प्रधानाचार्य अपनी सेवाएं दे चुके डीआईजी गंभीर सिंह चौहान को आईटीबीपी में नियुक्ति के बाद से अनेक सरहानीय कार्यों के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया। आईटीबीपी के आईजी संजीव रैना ने गणतंत्र दिवस के मौके पर चौहान को पदक से नवाजा।
उत्तराखंड के जौनसार वावर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व प्रसिद्ध समाज सुधाकर स्व0 केदार सिंह के परिवार में जन्मे गंभीर सिंह वर्ष1988 में स्नातक डिग्री हासिल करने के बाद वर्ष 1990 में ही आईटीबीपी में सहायक सेनानी के पद पर नियुक्त हो गए थे। तब से उन्होंने देश के विभिन्न प्रान्तों व विदेशों में सेवाएं देते हुए अनेक उत्कृष्ट कार्य करते हुए आईटीबीपी का नाम रोशन किया।
देश की महत्वपूर्ण सुरक्षा एजेंसी एसपीजी में अपनी सेवाएं दे चुके चौहान ने वर्ष 2013 मे केदारनाथ आपदा के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन का संचालन करते हुए हजारों तीर्थ यात्रियों की जान बचाई। वे संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में आईटीबीपी दस्ते में बतौर कमांडर तैनात रहे और यहां भी सराहनीय कार्यों के लिए उन्हें उत्कृष्ट पदक से सम्मानित किया गया।
पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान आईटीबीपी औली में प्रधानाचार्य के पद पर रहते हुए डीआईजी चौहान ने न केवल शीतकालीन खेलों को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्य किये बल्कि औली में आयोजित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शीतकालीन खेलों के सफल आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें थ्री स्टार मेडल व प्रशस्ति पत्र दिया गया था। डीआईजी चौहान पंजाब, लेह-लद्धाख, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड व उड़ीसा में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और वर्तमान में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित एरिया में तैनात हैं। सरल, सहज व कर्मठ स्वभाव के धनी डीआईजी गंभीर सिंह चौहान को राष्ट्रपति पदक से नवाजे जाने पर आईटीबीपी के साथ ही उत्तराखंड भी गौरवान्वित हुआ है।