नई दिल्ली, केन्द्रीय गृहमंत्री ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर को सीमित समय के लिए केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जा रहा है। जैसे ही राज्य में स्थिति समान्य होगी, उचित समय पर उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान विधेयक के तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा, मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधि होंगे और वहां का शासन किसी परामर्शदाता की सहायता से नहीं बल्कि चुनी हुई सरकार के माध्यम से चलेगा।
शाह ने लोकसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर में लागू रही अनुच्छेद 370 के प्रावधान उसे भारत से जोड़ने की बजाए अलगाव को फलने-फूलने देती रही है। इसी का लाभ उठाकर पाकिस्तान ने वहां के नागरिकों में अलगाव की भावना पैदा की है। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार के फैसले की आलोचना कर रहा है, लेकिन यह बताने में नाकाम रहा है कि अनुच्छेद 370 कैसे राज्य के हित में था। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 से राज्य में विकास, पर्यटन, शिक्षा, चिकित्सा क्षेत्रों में विकास रूका रहा।
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर गृहमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव की पहली शर्त का 1965 में ही भारत की सीमा के अतिक्रमण का प्रयास कर उल्लंघन कर दिया गया था। इससे यह प्रस्ताव खारिज हो चुका है और भारत को देश की सीमा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र पर कोई भी फैसला लेने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि लाहौर और शिमला समझौतों में भी इसी को मान्यता दी गई है।
गृहमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने अपने भाषण में जम्मू-कश्मीर के इतिहास को स्पष्टता से नहीं रखा। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के एकतरफा युद्धविराम करने के फैसले ने भारतीय सेना को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को भारत में शामिल होने से रोका था।
गृहमंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 की अनुच्छेद 371 से तुलना किए जाने को पूरी तरह से गलत बताया। उन्होंने कहा कि 370 एक अस्थाई प्रावधान है, जबकि 371 एक विशेष प्रावधान है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 371 राज्यों की समस्याओं को सुलझाने के लिए बनाई गई है। यह अनुच्छेद कहीं से भी देश की एकता और अखंडता में बाधक नहीं है और वह देश को आश्वसन देना चाहते हैं कि इस धारा को सरकार नहीं हटाएगी।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति में कोई गड़बड़ न हो, इसके लिए वहां के नेताओं को नजरबंद किया गया है। महौल ठीक होते ही राज्य में कर्फ्यू की स्थिति हटा ली जाएगी। उन्होंने कहा कि 89 से 95 के बीच राज्य में परिस्थिति जन्य कर्फ्यू लगा रहा।
शाह ने कहा कि तीन पीढ़ियों तक 370 के मुद्दे पर केवल चर्चा होती रही है। कभी-कभी त्वरित निर्णय लेने से भी काम हो जाता है।
विपक्ष के राज्य को बांटने से जुड़े विधेयक की प्रक्रिया पर सवाल उठाने पर गृहमंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय सरकार ने यही प्रक्रिया अपनाई थी। उस दौरान केन्द्र सरकार ने वहां की विधानसभा की सोच के उलट फैसला लिया था और संसद में भी विधेयक को ताकत के जरिए पारित कराया था।