महंगाई की मार और जीएसटी के डर ने पूरे देश में एक अजीब सी स्थिति पैदा कर दी है जिसका असर हमारी परंपरा तीज त्यौहार और मेलों पर भी पढ़ने लगा है ऐसे में छोटे कस्बों में चल रही रामलीला वैसे ही सूचना क्रांति के युग में दर्शकों को खींचने की जद्दोजहद में लगी है, ऐसे में ऋषिकेश की 60 साल पुरानी रामलीला के दर्शकों की कोई कमी नहीं है, कारण है जानकी रसोई–इंटरनेट और टीवी के युग ने हमारे पारंपरिक माध्यमों पर गहरा असर डाला है।
ऋषिकेश की 60 साल पुरानी रामलीला ने दर्शको को खींचने का एक नया फार्मूला बना लिया है, जो इस दौर में महगाई को मात दे रहा है क्योंकि इस रामलीला में ‘जानकी रसोई’ नाम की दुकान ने दर्शकों को परंपरा से जोड़े रखने के लिए एक नया कांसेप्ट उतारा है। जिससे दर्शकों की भी पौ बारह हो गई है, यहां चाय और कॉफी 3 रुपए में, पिज़्ज़ा 20 रुपए में और कोल्ड ड्रिंक 6 में मिल रहा है।
बाजार से इतनी कम कीमत पर मिल रहे सामान को लेने के लिए बच्चे और बूढ़े सब रामलीला देखने पहुंच रहे हैं। ‘जानकी रसोई’ के ऑनर योगेश चुन्नू का कहना है कि, “हम बाजार से सस्ता सामान बेच कर दर्शकों को रामलीला तक खींच कर ला रहे हैं, जिससे रामलीला की यह परंपरा जिंदा रह सके और नई पीढ़ी में हमारी सभ्यता और संस्कार बने रहें।”
रामलीला में आने वाले दर्शक खासकर बच्चे रामलीला के साथ साथ जानकी रसोई में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं, इन दर्शकों का कहना है कि, “जहां पूरे देश में महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है, वही इस रामलीला में आकर हम सस्ते में महंगी चीजों का स्वाद ले रहे है। देश में महंगाई का रावण अपने 10 सिर के साथ फैलता जा रहा है, ऐसे में छोटे कस्बे की यह रामलीला महंगाई को मुह जोड़ जवाब दे रही है।